मस्जिद के भीतर सजावटी मेहराब, इस्लामी शैली की फिजरी और अरबी लिपि में उकेरे गए शब्दों को भी मिटा दिया गया है। चीन में इस तरह की गतिविधियाँ एक अभियान के तहत की जा रही हैं।
दारुल उलूम देवबंद के उलेमा का कहना है कि दरोगा को दाढ़ी नहीं कटवानी चाहिए थी चाहे तो वह नौकरी छोड़ देते। शरीयत के हिसाब से उन्होंने बहुत बड़ा जुर्म किया है।