क्राइम सीन को रिक्रिएट करने के लिहाज से पुलिस चारों आरोपित दरिंदों को उसी हाइवे के पास लेकर पहुँची थी, जहाँ यह जघन्य अपराध किया गया था। लेकिन वहाँ से ये सभी भागने की कोशिश करने लगे। पुलिस ने त्वरित कार्रवाई करते हुए चारों को मार गिराया।
पीड़िता की हालत बेहद नाज़ुक होने की वजह से उन्हें लखनऊ रेफ़र कर दिया गया। बर्न यूनिट में उनका इलाज चल रहा है। अस्पताल के निदेशक डॉ. डीएस नेगी ने बताया कि पीड़िता 90 फ़ीसदी तक झुलस गई हैं और उनकी हालत बेहद नाज़ुक है।
उत्तरी तेलंगाना में हुए इस घटना के बाद स्थानीय आदिवासी और दलित सड़क पर हैं। परिजनों का कहना है कि अभी तक किसी नेता ने उनकी सुध नहीं ली है। पुलिस ने तीनों आरोपितों को गिरफ्तार कर लिया है।
जिस तरह से किशोरी का शव खेत में जिस वीभत्स हालत में मिला है। उससे गैंगरेप और हत्या की बातें रिपोर्टों में की जा रही हैं लेकिन अभी तक आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है। यदि सभी आशंकाएँ सही साबित होती हैं तो एक तरह से हैदराबाद की घटना को दोहराने की कोशिश के रूप में इसे देखा जा रहा है।
"हमारे सिस्टम में अक्सर परीक्षाएँ नहीं होती हैं क्योंकि दुर्लभ मामलों में मौत की सजा दी जाती है। इसलिए, पूर्णकालिक जल्लाद व्यवहार्य नहीं है। इसके अलावा इस नौकरी के लिए पूर्णकालिक कर्मचारी ढूँढना मुश्किल काम है।”
अगर आँकड़ों की बात करें तो प्रति 1000 की जनसंख्या पर उन देशों में बलात्कार की औसत घटनाएँ भारत से ज्यादा ही होती हैं। यहाँ हम इस पर विचार कर रहे हैं कि क्या वेश्यावृत्ति और पोर्नोग्राफी को लीगल करने से रेप में कमी आएगी? इसका जवाब है- नहीं। इसके पीछे कई कारण हैं, जिन्हें आपको समझना होगा।
घटना के 4 दिन बाद मुख्यमंत्री केसीआर ने अपनी चुप्पी तोड़ी और कहा कि वो इस ख़बर से व्यथित हैं। मुख्यमंत्री ने फ़ास्ट ट्रैक कोर्ट में सुनवाई के बाद दोषियों को जल्द से जल्द सज़ा दिलाए जाने की बात कही है। लोग पुलिस व प्रशासन से नाराज़ हैं।
रक्षामंत्री राजनाथ सिंह ने भी इस विषय पर लोकसभा में ऐसे अपराधों की रोकथाम के लिए सरकार द्वारा हर सुझाव को स्वीकार करने की बात कही। दोनों सदनों में इस वीभत्स घटना को लेकर सभी पार्टियों के सांसदों ने क्षोभ प्रकट किया।
डॉक्टर प्रीति रेड्डी रेप और हत्याकांड में पुलिस ने जो रिमांड कॉपी तैयार की है, उसकी एक कॉपी ऑपइंडिया ने भी एक्सेस की है। इस पूरी वारदात से लेकर उसकी जाँच और फिर आरोपितों की धर-पकड़ तक, इसमें पुलिस ने सभी जानकारियाँ एक जगह लिखी हैं।
सभी दोषियों पर लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद सर्वोच्च न्यायालय ने घटना के दोषियों को फाँसी की सज़ा सुनाई थी, इसके बाद 29 अक्टूबर जेल प्रशासन ने चारों दोषियों को दया याचिका पर अर्जी देने के लिए सात दिन का वक़्त दिया था।