चीन, इटली, अमेरिका और भारत जैसे देशों सहित दुनिया भर के प्रमुख वैज्ञानिकों ने कोरोना वायरस के लक्षणों के बारे में बताने के साथ इसे रोकने के उपायों से संबंधित अपने शोध प्रस्तुत किए।
"जब पश्चिमी रिसर्चर ने आपके टॉप विशेषज्ञों से पूछा कि वुहान में क्या चल रहा है तो उन्होंने जवाब नहीं दिया। आपको सच बताने में बहुत गर्व होना चाहिए था, लेकिन आपको ये देश का अपमान लगा।"
"आज मैं अपने प्रशासन को विश्व स्वास्थ्य संगठन के वित्त पोषण को रोकने का निर्देश दे रहा हूँ। हर कोई जानता है कि वहाँ क्या चल रहा है। WHO को अमेरिकी करदाता प्रत्येक वर्ष 400-500 मिलियन डॉलर सहयोग के तौर पर देता है और वहीं इसके विपरीत चीन संगठन को लगभग 40 मिलियन डॉलर से भी कम प्रति वर्ष योगदान के रूप में देता है।"
मार्क्स या माओ के जीवन दर्शन की राह पर चलने वाले वामपंथी अतिवादी बौद्धिक जैव विषाणुओं से अधिक हिंसक हैं। इस नरपिपासु वर्ग ने ही कोरोना जैसे विषाणुओं का आविष्कार करके दुनिया को अभूतपूर्व त्रासदी की स्थिति तक पहुँचा दिया है।
चीनी प्रवक्ता ने कहा था कि पेइचिंग कश्मीर के हालात पर नजर रखे हुए हैं और हमारा रुख इस पर नहीं बदला है। कश्मीर मुद्दे का इतिहास शुरू से ही विवादित रहा है और इसका समाधान संयुक्त राष्ट्र के चार्टर, सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों और द्विपक्षीय तरीके से होना चाहिए।"
बुधवार को सामने आए नए 63 केस के अलावा चीन में दो मौत भी हुई हैं, जिसके साथ ही कोरोना वायरस से मरने वालों का आँकड़ा 3335 हो गया है। जबकि कुल केस की संख्या 81 हजार के पार चली गई है। दूसरे फेज़ में चीन में कोरोना वायरस के केस की संख्या 1104 हो गई है।
भारत में तबलीगी जमात और यूनाइटेड किंगडम में इस्कॉन के आचरण की अगर बात करें तो तबलीगी जमात के विपरीत, इस्कॉन भक्त जानबूझकर संदिग्ध मामलों का पता लगाने से बचने के लिए कहीं भी छिप नहीं रहे, बल्कि सामने आकर सरकार का सहयोग और अपनी जाँच भी करा रहे हैं। उन्होंने तबलीगी जमात की तरह अपने कार्यक्रम में यह भी दावा नहीं किया कि उनके भगवान उन्हें इस महामारी से बचा लेंगे ।