छात्रों ने कैमरामैन के साथ भी धक्का-मुक्की की और कहा कि एबीपी न्यूज़ बिका हुआ है, वो कुछ भी सही नहीं दिखा रहा। इससे पहले जामिया के छात्रों ने ज़ी न्यूज़ की पत्रकार के साथ बदतमीजी की थी।
जामिया नगर में शूट किए गए इस वीडियो के छठे सेकंड में आप सुन सकते हैं कि एक व्यक्ति यह कहता दिखता है कि वो मोदी, अमित शाह और हिन्दुओं से 'आज़ादी' लेकर रहेंगे।
अफवाहों को चारों तरफ़ से नकारे जाने के बाद भी सोशल मीडिया पर पुलिस की गोली से जामिया के छात्रों के मारे जाने की ख़बरें लगातार सर्कुलेट होती रहीं। न सिर्फ़ प्रोपेगेंडा पोर्टलों ने बल्कि कुछ पत्रकारों ने भी छात्रों को भड़काने के लिए झूठी ख़बरें शेयर की।
"छात्र होने का मतलब यह नहीं है कि वे कानून-व्यवस्था अपने हाथ में ले सकते हैं। हम शांतिपूर्ण प्रदर्शन और अधिकारों के खिलाफ नहीं हैं। लेकिन सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान नहीं पहुॅंचाया जा सकता। ऐसे हालात में पुलिस को कदम उठाना ही होगा।"
दिल्ली के जामिया नगर में जहॉं यह यूनिवर्सिटी स्थित है जिहादी नारे लगाए गए। कथित प्रदर्शनकारी 'हिंदुओ से लेंगे आजादी, छीन के लेंगे आजादी और लड़ के लेंगे आजादी' जैसे नारे लगा रहे थे। हिंसा भी हुई। इसके बाद पुलिस ने कार्रवाई करते हुए करीब 50 छात्रों को हिरासत में लिया। हालॉंकि देर रात उन्हें छोड़ दिया गया।
सिसोदिया ने दावा किया कि दिल्ली पुलिस ने बसों में आग लगाई है। लेकिन जो फोटो शेयर की उसमें पुलिस आग बुझाती हुई दिख रही है। जहाँ यह घटना हुई वहाँ जामिया मिलिया इस्लामिया के छात्र प्रदर्शन कर रहे थे और आप विधायक अमनतुल्लाह ख़ान भी वहाँ देखे गए थे।
प्रदर्शन के दौरान जहाँ हिंसक घटना हुई, वहाँ AAP विधायक अमानतुल्लाह ख़ान भी मौजूद थे। एक तरफ केजरीवाल ऐसी घटना को अस्वीकार्य बता रहे हैं, दूसरी तरफ उनके MLA पर हिंसक भीड़ की अगुवाई करने के आरोप लग रहे हैं।
भाजपा नेता कपिल मिश्रा ने आशंका जताई है कि ये दिल्ली में गोधरा दोहराने की साज़िश है। वहीं मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल ने कहा है कि विरोध-प्रदर्शन शांतिपूर्ण होने चाहिए और इस तरह की हिंसा स्वीकार्य नहीं है।
हिंसक प्रदर्शन का ठीकरा जामिया प्रशासन ने 'बाहरी' लोगों के सिर फोड़ा हो, लेकिन कैंपस की दीवारों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के ख़िलाफ़ ख़ूब ज़हर उगला गया है।
हिंसक प्रदर्शन को लेकर जामिया प्रशासन ने कहा है कि इसमें शामिल ज्यादातर लोग बाहरी थे। उल्लेखनीय है कि यूनिवर्सिटी के आसपास के इलाकों में समुदाय विशेष के लोगों की घनी आबादी है। तो क्या इस प्रदर्शन के पीछे कोई साजिश रची गई थी?