1981 का एक ऐसा समय था, जब जेएनयू को 46 दिनों के लिए बंद किया गया था। आज फ़र्ज़ी 'स्टिंग ऑपरेशन' कर के वामपंथियों को बचाने वाले 'इंडिया टुडे' ने तब JNU को वामपंथी अराजकता का गढ़ बताया था, जहाँ छात्र फालतू वाद-विवाद में लगे रहते हैं। पत्रिका ने कहा था कि जेएनयू केवल रुपए डकारता है।
डीन ने सभी वार्डन को निर्देश देते हुए यह सुनिश्वित करने को कहा है कि विश्वविद्यालय के हॉस्टल में कोई बाहरी व्यक्ति मौजूद न हो। पुलिस ने इस संबंध में ऑडिट कराने का सुझाव रजिस्ट्रार को दिया है।
"#JNU कवरेज से जुड़ी एक क्लिप में दिख रही पुरानी तारीख के संबंध में स्पष्ट करना चाहते हैं कि कैमरे की सेटिंग्स अपडेटेड नहीं थीं। इससे जो ग़लतफहमी पैदा हुई है, उसके लिए हमें खेद है।"
इंडिया टुडे के स्टिंग ऑपरेशन में
खुद को ABVP का बताने वाला JNU का छात्र अक्षत अपने ही बयान से पलट गया है। उसने कहा है कि मैंने शेखी बघारने के लिए झूठ बोला था। उसने कहा है कि इंडिया टुडे के रिपोर्टर ने ही झूठ बोला था।
अब क्रांति कुमार आम इंसान नहीं रहे। अब क्रांति कुमार कामरेड क्रांति कुमार हो गए हैं। कामरेड क्रांति कुमार ने ट्विटर पर संविधान पढ़ा था और राजनीति शास्त्र की बारीकियाँ उसने एक बुर्जुआ मित्र के साथ पिज्जा ऑर्डर करते वक़्त मुफ्त कूपन इस्तेमाल करते हुए सीखीं थीं।
बकौल स्वामी सिर्फ दिल्ली पुलिस से जेएनयू में बात नहीं बनेगी। वहॉं बीएसएफ और सीआरपीएफ के जवानों की तैनाती की जानी चाहिए। साथ ही यूनिवर्सिटी का नाम बदल कर सुभाष चंद्र बोस विश्वविद्यालय कर दिया जाना चाहिए।
राहुल कंवल के फ़र्ज़ी दावे वाली फ़ोटो का संबंध दूर-दूर तक ABVP या 'ABVP की रैली' से नहीं था। उनके खोखले दावे का सच ख़ुद राहुल कंवल द्वारा शेयर किए गए जनसत्ता के लेख से भी हो गया। इसमें विरोध-प्रदर्शन के लिए स्पष्ट तौर पर आइशी घोष और JNUSU का उल्लेख किया गया था, न कि ABVP का।
इंडिया टुडे समूह के पत्रकार राहुल कंवल इस वीडियो में बता रहे हैं कि किस प्रकार उनके 2 खोजी पत्रकारों- जमशेद खान और नितिन जैन की स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम ने कथित ABVP कार्यकर्ता अक्षत अवस्थी का पर्दाफाश किया है।
"ये हमारे लिए हैरानी की बात नहीं है कि वो उन लोगों के साथ खड़ी हुईं, जो भारत की बर्बादी चाहते हैं। वो उनके साथ खड़ी हुईं, जिन्होंने लाठियों से लड़कियों के प्राइवेट पार्ट्स पर हमला किया। मैं उनका ये अधिकार छीन नहीं सकती।"
वीसी ने हिंसा के कारणों की पड़ताल करने और छात्रों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उपाय सुझाने को लेकर समिति गठित की है। लेकिन, JNUTA ने इसमें शामिल सदस्यों की निष्पक्षता पर सवाल उठाए हैं। JNUTA वैचारिक रूप से JNUTF का विरोधी माना जाता है।