SIT की रिपोर्ट में कहा गया कि ट्रेन में सफर कर रहे सिख यात्रियों की ट्रेन और रेलवे स्टेशनों पर हमला करने वाले लोगों द्वारा हत्या किए जाने के पाँच मामले थे।
प्रदर्शनकारियों से दंगाईयों में तब्दील हुई इस भीड़ ने इस दौरान पुलिसकर्मियों पर पत्थरबाजी की। जिसमें करीब 26 पुलिस वाले घायल हो गए। इसके अलावा पुलिस जीप को भी निशाना बनाया गया। इस पूरे मामले में पुलिस ने 5000 लोगों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कर ली है। जिसमें से कुछ लोगों की पहचान होने का भी दावा किया जा रहा है
हम ये मान लें कि 'अल्लाहु अकबर' का मतलब 'गॉड इज ग्रेट' होता है? इतने मासूम तो मत ही बनो। दंगा करते वक्त ये नारा उतना ही साम्प्रदायिक है जितना 'हिन्दुओं से आजादी' और ‘हिन्दुत्व की कब्र खुदेगी' है। राजनैतिक विरोध में 'नारा-ए-तकबीर' और 'ला इलाहा इल्लल्लाह' की जगह कैसे बन जाती है?
स्थानीय नेता आशु खान, मुस्तफा और हैदर का नाम भी एफआईआर में है। सीवाईएसएस के नेता कासिम उस्मानी, AISA के चंदन और एसआईओ के आसिफ तन्हा को भी आरोपी बनाया गया है।
नानावती-मेहता आयोग की फाइनल रिपोर्ट में 59 कारसेवकों को जलाए जाने के बाद राज्य में भड़की हिंसा को सुनियोजित हिंसा नहीं माना गया। आयोग ने नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली तत्कालीन गुजरात सरकार को अपनी रिपोर्ट में क्लीन चिट दी है।
बंधु प्रकाश गलत राज्य में पैदा हुआ, गलत जाति-धर्म का था, गलत राज्य में मारा गया। मरने के बाद की चर्चा में बने रहने के लिए आपको निर्दोष होना मात्र 'सही' नहीं होता। आपको किसी खास जाति, किसी खास मजहब में होना होता है, किसी खास तरह के हत्यारे का शिकार बनना पड़ता है, और वहाँ सत्तारूढ़ पार्टी कौन सी है, इसका भी बहुत असर पड़ता है।
हत्या से जुड़े 10, सामूहिक बलात्कार के 4 और दंगों के 26 मामलों के आरोपितों को अदालत ने बेगुनाह माना। सरकारी वकील के हवाले से बताया गया है कि अदालत में गवाहों के मुकरने के बाद अब राज्य सरकार रिहा आरोपितों के संबंध में कोई अपील नहीं करेगी।
ये भीड़ इतनी जल्दी कैसे आती है, कहाँ हमला करती है और किधर गायब हो जाती है? क्या पुलिस ने नहीं देखा इन्हें? क्या हॉस्पिटल में सुरक्षा के लिए पुलिस आदि नहीं होती या फिर इस पहचानहीन भीड़ का सामूहिक चेहरा ममता की पुलिस ने पहचान लिया और उन्हें वो करने दिया जो वो कर गए?
इन दंगों में अब तक कई घरों और मस्जिदों पर हमला किया जा चुका है। दंगाई हाथ में लाठी और हथियार लिए आते हैं और सीधा हमला कर देते हैं। इस समय श्री लंका में अल्पसंख्यक मुस्लिमों में और सिंहलियों में काफ़ी तनातनी का माहौल है।