Thursday, April 25, 2024
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कॉन्ग्रेस पार्षद शहजाद खान ने पुलिस को मारने के लिए भीड़ को उकसाया, कहा- एक भी पुलिस वाले को मत छोड़ना

"मुझे लगता है कि मानवाधिकार के सभी लड़ाके, बॉलीवुड के लोग और फर्जी वामपंथी पत्रकार संयुक्त राष्ट्र गए हैं कि पुलिस वालों के मानवाधिकार होते हैं या नहीं।"

अहमदाबाद पुलिस ने गुरुवार (दिसंबर 12, 2019) को शाह-ए-आलम में भड़की हिंसा मामले में शुक्रवार (दिसंबर 20, 2019) को कॉन्ग्रेस पार्षद समेत 48 लोगों को गिरफ्तार किया। कॉन्ग्रेस पार्षद शहजाद खान पठान पर आरोप लगा कि उन्होंने सीएए के विरोध प्रदर्शन में उमड़ी भीड़ को उकसाया और अति संवेदनशील माहौल में पुलिस वालों से बदला लेने की बात की। बता दें, प्रदर्शनकारियों से दंगाईयों में तब्दील हुई इस भीड़ ने इस दौरान पुलिसकर्मियों पर पत्थरबाजी की। जिसमें करीब 26 पुलिस वाले घायल हो गए। इसके अलावा पुलिस जीप को भी निशाना बनाया गया।

जानकारी के अनुसार इस पूरे मामले में पुलिस ने 5000 लोगों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कर ली है। जिसमें से कुछ लोगों की पहचान होने का भी दावा किया जा रहा है। बताया जा रहा है दंगाईयों की इस भीड़ द्वारा 26 पुलिस वाले घायल किए गए हैं। जिसमें डीसीपी बिपिन अहिर, एसीपी आरबी राणा और जेएम सोलंकी के नाम भी शामिल हैं।

टाइम्स नॉऊ की रिपोर्ट के अनुसार, पुलिस ने खुद इस बारे में जानकारी दी है कि उन्होंने इस मामले में 5000 लोगों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज कर ली है। जबकि कॉन्ग्रेस पार्षद समेत 50 लोग नामजद हैं। इनमें से पुलिस ने 48 लोगों को शुक्रवार को गिरफ्तार कर लिया है। जिनपर हत्या की कोशिश, दंगा भड़काने और पुलिस को प्रताड़ित करने के इल्जाम हैं।

इसके अलावा पुलिस ने इस बारे में भी बताया कि उन्होंने शहजाद पठान को गुरुवार को ही हिरासत में ले लिया था, लेकिन गिरफ्तारी शुक्रवार को हुई। पुलिस अधिकारी जेएम सोलंकी के मुताबिक पुलिस पठान को ले जा रही थी, तो उसने वहाँ मौजूद स्थानीय लोगों को पुलिस से बदला लेने की बात की और एक भी पुलिस वाले को न छोड़ने के लिए कहा। जिसके कारण पुलिस का मानना है कि इसी उकसाने की वजह से पुलिस पर हमला हुआ।

गौरतलब है कि इस हमले की वीडियो सोशल मी़डिया पर वायरल होने के बाद क्रिकेटर से राजनेता बने गौतम गंभीर ने भी इसपर अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा, “मुझे लगता है कि मानवाधिकार के सभी लड़ाके, बॉलीवुड के लोग और फर्जी वामपंथी पत्रकार संयुक्त राष्ट्र गए हैं कि पुलिस वालों के मानवाधिकार होते हैं या नहीं।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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