कोरोना वायरस से संक्रमित लोगों की बढ़ती तादाद देखकर शाहीन बाग में प्रदर्शनकारियों की संख्या कम। लखनऊ में भी अचानक प्रदर्शन को स्थगित कर दिया गया है और मुंबई में 50 दिन से चल रहा धरना प्रदर्शन समाप्त हो गया है। महिलाओं का कहना है कि वह हालात सुधरने के बाद इस प्रदर्शन को जारी करेंगी।
आयोजकों ने एक साजिश के तहत 21 मार्च की रात से ही मैसेज वायरल कर हजारों लोगों को इकट्ठा किया। इसके बाद रविवार सुबह जहाँ पूरा शहर कोरोनावायरस से लड़ने के लिए घरों में कैद था, वहीं ईदगाह मैदान में प्रदर्शनकारी धरने पर थे। इन सभी लोगों पर दूसरों की जान से खिलवाड़ करने के आरोप में FIR दर्ज किया गया है।
NPR बनने और उसके प्रभावी हो जाने पर बाहर जाने वाले 'घुसपैठियों' की संख्या के अनुपात में CAA के उपरोक्त 'लाभार्थी' बहुत ही कम हैं। साथ ही, धार्मिक आधार पर प्रताड़ित अपने पूर्व-नागरिकों को शरण और नागरिकता देना भारत का संवैधानिक और मानवीय दायित्व भी है।
कपिल मिश्रा ने एक विडियो शेयर कर बताया है कि बौखलाहट में शाहीन बाग के प्रदर्शनकारी आपस में ही सिर-फुटव्वल कर रहे हैं। ऐसे में यह अंदेशा जताया जा रहा है कि पेट्रोल बम फेंका जाना भी इनके आपसी लड़ाई का ही नतीजा है।
कोरोना वायरस के संक्रमण का प्रसार रोकने के लिए सोशल डिस्टन्सिंग का पालन करने की सलाह दी जा रही है। लोगों को हाथ न मिलाने से लेकर एक-दूसरे से दूर रहने को कहा जा रहा है। लेकिन, सीएए विरोधी इसे नजरंदाज कर अपने साथ दूसरों के जीवन के लिए भी संकट पैदा कर रहे हैं।
सोशल मीडिया पर लोगों ने आशंका जताई है कि हो सकता है कि शाहीन बाग़ के उपद्रवियों ने जनता कर्फ्यू से ध्यान खींचने के लिए ऐसा किया हो। हालाँकि, इस सम्बन्ध में अभी तक कुछ भी पुष्टि नहीं हुई है।
35 वर्षीय तबरेज को 16 मार्च को कफ आने के बाद कोरोना के लक्षण का शक हुआ। फिर जब उसे क्वारंटाइन कर के जाँच किया गया तो पता चला कि उसे भी कोरोना वायरस ने जकड़ लिया है। चूँकि सीएए विरोधी आंदोलन में कई लोग जा रहे हैं और वो लोग वहाँ से निकलने के बाद अपने परिवार व अन्य लोगों से मिलते होंगे, शाहीन बाग़ अब पूरी दिल्ली के लिए ख़तरा बन चुका है।
"महिलाएँ हर सावधानी बरत रही हैं, हर समय बुर्के में ढकी रहती हैं। नियमित रूप से हाथ धोना हमारी जीवनशैली का हिस्सा है। हम दिन में पाँच बार नमाज अदा करते हैं और हर बार हाथ धोते हैं।”
35 वर्षीय आयोजक व्यक्ति ने कहा कि वह 13 मार्च को अपनी बहन से मिला था और उसके साथ बैठकर कुछ समय भी बिताया था। इसके बाद भी वह दिल्ली के जहाँगीरपुर में सीएए विरोध में चल रहे धरने में भी शामिल हुआ। युवक ने अपनी सफाई देते हुए कहा, "मुझे उस समय अपने अंदर बीमारी का कोई लक्षण नहीं दिखा था।
"सुन लो मोदी, हमारी माँ-बहनों ने टीपू सुल्तान को जन्म दिया है और तुम हमसे नागरिकता का सबूत माँगते हो! लालकिला जहाँ से झंडा फहराते हो, ये क्या तुम्हारे पूर्वजों ने बनवाया? ताजमहल जहाँ ट्रम्प को लेकर गए थे, क्या तुम्हारे पूर्वजों ने बनवाया था? तुमने शौचालय बनवाए हैं, जाओ और वहाँ से झंडा फहराओ।"