Monday, October 7, 2024
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‘हम दिन में 5 बार नमाज अदा करते हैं, 5 बार हाथ धोते हैं… नहीं होगा कोरोना’ – शाहीन बाग में चल रहा कुतर्क

"कोरोना वायरस का खतरा बड़ा है, लेकिन इस खतरे से कुछ लोगों की ही जान जाएगी, जबकि NRC जैसे कानून पास होने से उनके जैसे लाखों लोगों की जिन्दगी एक पल में उजड़ जाएगी। इसलिए इस प्रदर्शन को किसी भी कीमत पर जारी रखा जाना चाहिए।"

कोरोना वायरस को लेकर देश दुनिया में बेहद सावधानी बरती जा रही है, वहीं दिल्ली के शाहीन बाग में प्रदर्शनकारी अब भी धरनास्थल खाली नहीं करने की जिद पर अड़े हैं। प्रदर्शनकारियों को जिला प्रशासन की ओर से मेडिकल टीम भेजने का प्रस्ताव दिया गया, लेकिन उन्होंने मना कर दिया। शाहीन बाग में महिला प्रदर्शनकारी रविवार को ‘जनता कर्फ्यू’ के दिन भी अपना विरोध प्रदर्शन जारी रखेंगी। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार (मार्च 22, 2020) को ‘जनता कर्फ्यू की घोषणा की है और लोगों से अपने घरों के अंदर ही रहने की अपील की है।

प्रधानमंत्री की अपील पर देश भर में रविवार को जनता कर्फ्यू की तैयारी की जा रही है। मगर शाहीनबाग की महिलाओं ने जनता कर्फ्यू में शामिल होने से इनकार कर दिया है। हालाँकि जारी प्रदर्शन में कुछ बदलाव किए जाने की बात कही जा रही है, जिसमें कहा गया कि अब बच्चों और बुजुर्गों को प्रदर्शन स्थल पर आने की अनुमति नहीं होगी। वहीं किसी भी प्रदर्शनकारी को धरनास्थल पर 4 घंटे से अधिक रुकने की अनुमति नहीं होगी। यानी 4 घंटे तक ही कोई प्रदर्शनकारी वहाँ रुक सकता है। एक प्रदर्शनकारी महिला ने बताया कि विरोध स्थल पर 70 साल से अधिक उम्र के बुजुर्ग और 10 साल से कम उम्र के बच्चों के आने की अनुमति नहीं होगी।

इसके अलावा अब माइक से कोई भी अनाउंसमेंट नहीं किया जाएगा। गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून को लेकर शाहीन बाग में 96 दिन से धरना जारी है। इसी बीच देश में कोरोना वायरस के प्रकोप को देखते हुए किसी भी स्थान पर 20 से अधिक लोगों के एकत्र होने की मनाही है। बावजूद इसके, शाहीन बाग में लोगों की भीड़ एकत्र हो रही है। बता दें कि पहले एक जगह पर 50 लोगों के एकत्रित होने पर मनाही थी।

इन प्रदर्शनकारियों का कहना है कि जब सरकार ने 50 से ज्यादा लोगों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगाया था, तब वे 50-50 के समूह में धरना दे रही थीं, लेकिन अब वे 20-20 के ग्रुप में धरना देंगी।  लेकिन किसी भी हालत में वे अपना प्रदर्शन जारी रखेंगी। क्योंकि उनके लिए नागरिकता कानून का मुद्दा कोरोना वायरस से भी ज्यादा बड़ा है।

एक प्रदर्शनकारी ने कहा, “रविवार को, हम छोटे टेंटों के नीचे बैठेंगे। केवल दो महिलाएँ प्रत्येक टेंट के नीचे बैठेंगी और अपने बीच एक मीटर से अधिक दूरी बनाए रखेंगे।” वहीं एक अन्य प्रदर्शनकारी रिजवाना ने कहा कि महिलाएँ हर सावधानी बरत रही हैं और वे हर समय बुर्के में ढकी रहती हैं। उन्होंने कहा, “नियमित रूप से हाथ धोना हमारी जीवनशैली का हिस्सा है। हम दिन में पाँच बार नमाज अदा करते हैं और हर बार हाथ धोते हैं।” प्रदर्शन के प्रमुख आयोजकों में से एक तासीर अहमद ने कहा कि पर्याप्त संख्या में सैनिटाइटर और मास्क की व्यवस्था की गई है और प्रदर्शन स्थल को नियमित अंतराल पर संक्रमण-मुक्त किया जा रहा है।

इसके साथ ही शाहीन बाग के प्रदर्शनकारियों में अहम भूमिका निभा रही रूबी ने अमर उजाला से बात करते हुए कहा कि कोरोना वायरस का खतरा बड़ा है, लेकिन इस खतरे से कुछ लोगों की ही जान जाएगी, जबकि NRC जैसे कानून पास होने से उनके जैसे लाखों लोगों की जिन्दगी एक पल में उजड़ जाएगी। इसलिए उनके जैसी महिलाओं की इच्छा है कि इस प्रदर्शन को किसी भी कीमत पर जारी रखा जाना चाहिए। गौरतलब है कि नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में महिलाओं ने दिसंबर के मध्य से ही दक्षिण-पूर्वी दिल्ली से नोएडा को जोड़ने वाली सड़क का एक साइड अवरूद्ध कर रखा है। जिसकी वजह से लोगों को काफी परेशानी हो रही है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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