हाल के समय में बंगाल में राजनीतिक हिंसा की घटनाओं में तेजी देखी गई है। भाजपा नेताओं का कहना है, " पश्चिम बंगाल में कानून का कोई राज नहीं हैं। जहाँ आमिर को मारा गया, वह जगह एसडीपीओ कार्यालय से ज्यादा दूर नहीं है।"
"पश्चिम बंगाल में लोकतंत्र की रक्षा करने के दौरान भाजपा के एक और कार्यकर्ता को बलिदान होना पड़ा है। देबनाथ की तृणमूल कॉन्ग्रेस के अपराधियों ने गोली मारकर हत्या की है।"
शाह ने कहा कि किसी भी हिन्दू, जैन, बौद्ध, सिख और ईसाई शरणार्थी को देश छोड़ने को मजबूर नहीं होना पड़ेगा। उन्होंने यह भी याद दिलाया कि बंगाल में जब घुसपैठिए वाम दलों को वोट देते थे तो विपक्षी नेता के तौर पर ममता बनर्जी उन्हें बाहर निकालने की बात करती थीं।
तृणमूल के कई नेताओं ने दुर्गा पूजा कमिटियों के अभिभावक का दर्जा ले रखा है और वे अपने स्थानीय इलाक़ों में पार्टी के रसूख का इस्तेमाल करते हुए शर्तें तय करते हैं। वामपंथी पार्टियों का भी दुर्गा पूजा पंडालों के पास स्टॉल लगा कर अपने साहित्य और पर्चे बाँटने का पुराना इतिहास रहा है।
"तृणमूल कॉन्ग्रेस की गुंडा वाहिनी ने अचानक से बाजार में आकर BJP पार्टी ऑफिस तोड़ दिया। पुलिस को खबर देने पर भी कोई फायदा नहीं हुआ। तृणमूल कॉन्ग्रेस ने इलाके को अशांत कर रखा है। अगर पुलिस की तरफ से जल्द ही इन पर कार्रवाई नहीं की जाती है, तो हमें मजबूरन बड़े आंदोलन पर उतरना होगा।"
सड़क पर नमाज से न केवल आम लोगों को परेशानी होती है, बल्कि यह प्रशासन के लिए भी बड़ा सिरदर्द है। इसका हवाला देते हुए भाजयुमो का कहना है कि जब दूसरे समुदाय वाले हर शुक्रवार को नमाज के नाम पर सड़क बंद कर सकते हैं और प्रशासन उन्हें नहीं रोकता तो हम हनुमान चालीसा का पाठ सड़क पर क्यों नहीं कर सकते।
टीएमसी का प्रतिनिधिमंडल स्थिति का जायजा लेने के लिए आज (जून 28, 2019) भाटपारा जाने वाला है। यहाँ 20 जून को हुई हिंसा में 2 लोगों की मौत हुई थी और 11 लोग घायल हो गए थे। इस घटना के मद्देनजर शनिवार (22 जून) को भाजपा का 3 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल पश्चिम बंगाल के भाटपारा का दौरा करने पहुँचा था और उसका नेतृत्व भाजपा सांसद एसएस अहलूवालिया ने किया था।
महुआ मोइत्रा अगर अपनी पार्टी के गिरेबान में झाँक लें तो शायद राजनीतिक स्वतंत्रता पर दूसरों को उपदेश देने के बाद वह संसद आना तो दूर, घर से निकलने में शर्माएँ!