"खान तीन माह से पुलिस के रडार पर था। उसने पहले भी कुछ अधिकारियों को पत्र लिखे थे। इसमें दावा किया था कि उसकी मॉं और भाई के आतंकवादियों से संपर्क हैं और उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए।"
विधायक मुन्नालाल गोयल का कहना है कि पार्टी जिन वादों के सहारे सत्ता में आई उसे पूरा करने के लिए वे कई बार सीएम और मंत्रियों को पत्र लिख चुके हैं। बावजूद इसके कुछ नहीं हुआ। मजबूरन, उन्हें धरने पर बैठना पड़ा।
शिक्षा विभाग द्वारा स्कूल के प्रिंसीपल को निलंबित करने से नाराज़ स्कूली छात्र-छात्राओं ने अपने अभिवावकों के साथ एक विरोध मार्च निकाला और अधिकारियों से प्रिंसीपल का निलंबन रद्द करने की माँग की। वहीं आपको बता दें कि स्कूल के प्रिंसीपल आरएन केरावत को शतप्रतिशत परिणाम देने के लिए राष्ट्रपति पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है।
"आज सारे कॉन्ग्रेसी पूरे देश में सीएए का विरोध कर रहे हैं। केंद्र ने जो किया, गाँधी जी भी ऐसा ही चाहते थे। राहुल बाबा, आप गाँधी जी की भी नहीं सुनोगे। गाँधी जी ने आश्वासन दिया था कि पाक से भगाए गए लोग यहाँ आएँगे तो उन्हें नागरिकता मिलेगी।"
"सीएए और एनआरसी को अलग-अलग देखने की जरूरत है। पाकिस्तान, बांग्लादेश, अफगानिस्तान के दुखी लोगों को यदि भारत में सुविधाएँ मिलती हैं तो इसमें बुराई क्या है।"
देश में बलात्कार की कुल 33,356 घटनाएँ दर्ज की गई। इनमें से करीब 16 फीसदी मध्य प्रदेश में हुई। राज्य में बलात्कार का शिकार होने वाली लड़कियों में 2,841 की उम्र 18 साल से कम थी।
भगवा आतंकवाद की थ्योरी गढ़ने वाले दिग्विजय सिंह विवादित टिप्पणियों को लेकर खासे मशहूर रहे हैं। पिछले दिनों उन्होंने कहा था कि भाजपा के लोग आईएसआई के लिए जासूसी करते हैं। उन्होंने भगवा पहनकर बलात्कार किए जाने की बात भी कही थी।
तिरंगा यात्रा में 'भारत माता की जय' के नारे लग रहे थे। एक और बात जानने लायक है कि जिस कुरैशी मोहल्ले में पत्थरबाजी और हमला हुआ है, उसी जगह पर एक वर्ष पूर्व भी ऐसी घटना हुई थी। उस दौरान राजपूत समाज के एक समारोह पर हमला किया गया था।
यूनिवर्सिटी ने मंडल का पक्ष जानने के लिए उनके पास कई स्पीड पोस्ट व ईमेल भेजे लेकिन उनकी तरफ़ से कोई जवाब नहीं आया। मंडल ने एक बार भी जवाब देना ज़रूरी नहीं समझा। इसीलिए, अब निर्णय लिया गया है कि उन्हें भविष्य में लेक्चर के लिए आमंत्रित नहीं किया जाएगा।
अतिथि विद्वान 28 दिन से धरने पर हैं। कफन ओढ़कर प्रदर्शन कर चुके हैं। खून से दीया जला चुके हैं। शहर की सड़कों पर शू पॉलिश कर विरोध जता चुके हैं। लेकिन, कमलनाथ कैबिनेट का मतभेद है कि मिटता नहीं।