दिल्ली पुलिस ने केजरीवाल सरकार को एक चिट्ठी लिखी है। दिल्ली सरकार से 157 विदेशी नागरिकों के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मॉंग की है। ये विदेशी निजामुद्दीन के मरकज में हुए कार्यक्रम में मौजूद थे और फिलहाल दिल्ली की कई मस्जिदों और अन्य जगहों पर ठहरे हैं।
जमातियों ने मस्जिद में रहने के दौरान कई बार गाँव में भ्रमण किया था और सैकड़ों लोगों से अलग-अलग समय में मुलाकात भी की थी। अब सभी को रिपोर्ट का इंतजार है। इन सभी जमातियों ने दिल्ली में हुए मजहबी सम्मेलन में हिस्सा लिया था।
मड़ियाँव और काकोरी इलाके की मस्जिदों में भी कई विदेशी नागरिकों के रुके होने की खबर है। बताया जा रहा है मड़ियाँव में 17 बांग्लादेशी नागरिकों के रुके होने की सूचना है। जो टूरिस्ट वीजा पर यहाँ आए हैं।
“पूरा देश खतरे में है, सरकार ने लॉकडाउन घोषित कर रखा है, और तुम फतवे का इंतजार कर रहे हो? देश फतवे से चलेगा या लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार से चलेगा? यही तुम लोगों का असली चेहरा है, पूरी मानवता खतरे में है और तुम लोग फतवे के इंतजार में हो? शर्म आती है तुम जैसे जाहिलों पर।”
शुरुआती दिनों में जब कोरोना के लक्षण वाले मामले दिखने लगे तो प्रशासन ने सूचना मिलते ही आवश्यक कार्रवाई करनी चाही। वहाँ के स्थानीय लोगों ने प्रशासन का साथ नहीं दिया और कड़ा विरोध करके एंबुलेंस को ही इलाके से लौटा दिया।
देश की राजधानी दिल्ली के निजामुद्दीन इलाके में मरकज तबलीगी जमात के मुख्यालय में 200 से ज्यादा लोगों के कोरोना संदिग्ध पाए जाने से हड़कंप मच गया है। दिल्ली सरकार ने मरकज के मौलाना के खिलाफ फौरन मुकदमा दर्ज करने को कहा है। उन पर आरोप है कि...
पटना, राँची और दिल्ली के बाद महाराष्ट्र के अहमदनगर में एक मस्जिद से 10 विदेशियों को पुलिस ने हिरासत में लिया। पुलिस ने मस्जिद के ट्रस्टी जुम्माखान नवाबखान पठान और सलीम बाबूलाल पठान को कोरोना फैलाने के आरोप में और आदेशों का उल्लंघन करने के आरोप में कई धाराओं के तहत गिरफ्तार कर लिया है।
“वे पर्यटक वीजा पर यहाँ आए थे लेकिन मजहबी सम्मेलनों में भाग ले रहे थे, यह वीजा नियमों के शर्तों का उल्लंघन है। हम लगभग 800 इंडोनेशियाई प्रचारकों को ब्लैकलिस्ट करने जा रहे हैं ताकि भविष्य में वे देश में प्रवेश न कर सकें।”
निजामुद्दीन में एक भीड़ जुटती है - मलेशिया, इंडोनेशिया, सऊदी अरब और किर्गिस्तान समेत कई देशों के करीब 2500 लोग यहाँ आते हैं। कोरोना के बवाल के बावजूद यह सब होता है। नतीजा - दिल्ली में कोरोना पॉजिटिव के हालिया मामले में से 50% से ज्यादा सिर्फ इस एक कार्यक्रम में शामिल होने वाले लोग।