यूपी की मेरठ की रहने वाली वंशिका 8वीं कक्षा की छात्रा हैं। वंशिका कस्तूरबा गाँधी आवासीय विद्यालय में पढ़ती हैं। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 5 मार्च को वंशिका सहित 20 लड़कियों को सम्मानित करने वाले हैं।
अटकलों का बाजार गर्म हो गया था और सभी इस सवाल के जवाब को तलाशने में लग गए थे कि आख़िर प्रधानमंत्री सोशल मीडिया को क्यों अलविदा कहना चाहते हैं? अब उन्होंने इस बात का जवाब दे दिया है। पीएम मोदी की उस घोषणा के पीछे का राज उन्होंने ख़ुद खोला है।
राहुल गाँधी ने बेशर्मी से दावा कर दिया कि एक-एक महिलाओं ने सुप्रीम कोर्ट में खड़े होकर मोदी सरकार को ग़लत साबित कर दिया। वे भूल गए कि इस मामले को सुप्रीम कोर्ट में मोदी सरकार नहीं, मनमोहन सरकार लेकर गई थी।
यहाँ पर सवाल उठता है कि केजरीवाल ने ऐसा क्यों कहा कि वोट देने से पहले पुरुषों से अवश्य चर्चा करें? क्या उनको आज की नारी पर भरोसा नहीं है? क्या वो पढ़ी-लिखी-समझदार नहीं है? क्या वो भला-बुरा देखकर समझ नहीं सकती? क्या महिलाओं में इतनी समझदारी नहीं है कि वो अपनी समझ से वोट दे सकें?
इस सूची में भारत की 3 महिलाओं को जगह दी गई है। 23 महिला पहली बार सूची में आईं हैं। स्वतंत्र रूप से वित्त मंत्रालय का कार्यभार सॅंभालने वाली निर्मला सीतारमण पहली महिला हैं। वे रक्षा मंत्री भी रह चुकी हैं।
महिलाओं को सशक्त बनाने के लिए केंद्र सरकार की फ्लैगशिप योजना से 36 लाख से अधिक महिला लाभान्वित हुईं। महिलाओं को कृषि गतिविधियों में संलग्न करने के लिए केंद्र सरकार की 84 परियोजनाओं के लिए 847 करोड़ रुपए आवंटित किए गए।
अपने पिता पर गंभीर आरोपों की लम्बी फेहरिस्त जारी रखते हुए उसने यह भी कहा कि वे अपने सहयोगियों को टेंडर जारी होने के पहले से तय राशि बता देते थे और उनके सहयोगी उससे सस्ते दाम लगाकर टेंडर पा लेते थे। इसके बाद चाहे वे जैसी भी गुणवत्ता का सामान दें, आश्रम खरीद लेता था।
क्या वाक़ई पुरुष इतना भावना-हीन है कि उसे किसी भी तकलीफ पर दर्द नहीं होता। वह रो नहीं सकता। या वह इतना संबल है कि हर परेशानी को सँभाल सकता है। नहीं, यह भी सदियों से चली आ रही है परिपाटी की तरह पूर्वाग्रह से ग्रसित एक धारणा है।
महिला कार्यकर्ताओं ने कहा कि जब राजनीति में भागीदारी की बात आती है तो सांसदों और विधायकों की पत्नियों को टिकट दे दिया जाता है। ज़मीन पर मेहनत करने वाली महिला कार्यकर्ताओं की पार्टी में कोई इज्जत नहीं है।
एक के सामने जाति की चादर ओढ़े प्रभावशाली राजनीतिक बिरादरी था, तो दूसरे के सामने धर्म की खाल में लिपटे दरिंदे हैं। बावजूद इसके इन्होंने जो जज्बा दिखाया वो बताता है कि हमें विरासत के नाम पर उड़ान भरती महिलाओं से ज्यादा इनके हौसले की दरकार है।