‘लव जिहाद’ को बार-बार समझना आवश्यक है क्योंकि कुछ लम्पट वामपंथी पोर्टल और बकैत एंकर इसे ‘अंतरधार्मिक विवाह‘ का मसला और ‘प्रेम पर सरकार का पहरा’ मान कर स्थापित करने में सत्तू-पानी बाँध कर बैठ गए हैं।
उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने 'ग्रूमिंग जिहाद (लव जिहाद)' के खिलाफ बने विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन प्रतिषेध अध्यादेश 2020 पर हस्ताक्षर कर दिया है।
युवती के घर वालों की शिकायत के आधार पर पुलिस ने फैज़ल, इरशाद, सोनू, हिना, लाइबा और मुश्ताक मलिक पर अपहरण के दौरान मदद करने के लिए मामला दर्ज कर लिया है।
बात यह है कि हर मामले में खास मजहब का लड़का ही क्यों होता है? ईसाई या सिक्ख लड़के आखिर किसी हिन्दू लड़की को अपना नाम हिन्दू वाला बता कर प्रेम करते क्यों नहीं पाए जाते?
ऑपइंडिया के पास मौजूद SIT रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा है कि यह ग्रूमिंग जिहाद के कुछ बेहद चर्चित मामले थे, जिनमें हिन्दू युवतियों को धोखा देकर उनके धर्मांतरण का प्रयास या उनका उत्पीड़न किया गया।
"सच कहें तो वैचारिक ‘लव जिहाद’ के कारण देश और हिंदुत्व का सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है। कश्मीर में पाक समर्थक, अनुच्छेद 370 प्रेमी महबूबा मुफ्ती से भाजपा ने सत्ता का निकाह किया, इसलिए इसे भी वैचारिक लव जिहाद क्यों न माना जाए?"