कुल 79 ऐसी लोकसभा सीटें हैं, जो अल्पसंख्यक बहुल हैं। इन 79 में से 41 पर भारतीय जनता पार्टी ने जीत दर्ज की है। अर्थात, कुल अल्पसंख्यक बहुल लोकसभा सीटों में से 51.8% पर भाजपा ने कब्ज़ा किया। ये पिछले लोकसभा चुनाव के मुकाबले बेहतर प्रदर्शन है।
पश्चिम बंगाल में लोकसभा चुनाव के नतीजों ने देशवासियों को चौंकाया है। सभी पूर्वग्रह और अपेक्षाओं को झूठा साबित करते हुए, भाजपा ने पश्चिम बंगाल राज्य में 40.25% वोट-शेयर हासिल किया, जबकि वाम दल दहाई अंक के वोट-शेयर तक पहुँचने में भी नाकाम रहे।
‘धंधे’ में पक कर पक्के हुए निखिल वागले के द्वारा यह अनभिज्ञता नहीं, कुटिलता है, क्योंकि अगर इतने साल बाद भी वह ‘अनभिज्ञ’ हैं निर्वाचन और जनमत-संग्रह के अंतर से, तो वह इतने साल से कर क्या रहे थे?
"जैसे सात चरणों में लोकसभा का निर्वाचन हुआ, वैसे ही (दूसरी पार्टियों के नेताओं का) भाजपा में शामिल होना भी सात चरणों में होगा। आज तो केवल पहला चरण था।"
कॉन्ग्रेस इस समय बड़े ही विचित्र ऊहापोह में फँसी दिख रही है। राहुल गाँधी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना चाहते हैं। लेकिन कोई लेने को तैयार ही नहीं। इसी बीच राजस्थान में गुटबाजी और कर्नाटक में दल-बदल का संकट भी...
अपने शहर की बेरुखी और राज्य में कॉन्ग्रेस के ख़राब प्रदर्शन से नाराज़ बब्बर ने आलाकामन को अपना इस्तीफा भेज दिया। महाराष्ट्र में पूर्व मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण ने भी प्रदेश अध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे दिया है। अब तक 13 बड़े कॉन्ग्रेस नेता इस्तीफे की पेशकश कर चुके हैं।
राजदीप ने अपना 30 साल का कैरियर जिस तरह के प्रोपेगेंडा से बनाया है उसे देखते हुए यह बहुत आश्चर्यजनक नहीं है। वह अफस्पा के खिलाफ भी भ्रम पैदा करते पकड़े गए थे।
उसी भविष्य में मत जाओ जहाँ तुमने 2014 की मई में कहा था कि अब तो सड़कों पर हिन्दू नंगी तलवारें लिए दौड़ेंगे, अल्पसंख्यकों को तो काट दिया जाएगा, गली-गली में दंगे होंगे, मस्जिदों का तोड़ दिया जाएगा, उनकी
बस्तियों पर बम गिराए जाएँगे… और वैसा कुछ भी नहीं हुआ