Friday, May 23, 2025
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अध्यक्ष पद छोड़ने पर आमादा राहुल गाँधी, संकट में राजस्थान और कर्नाटक की कॉन्ग्रेसी सरकार

"राहुल गाँधी की बजाय पूरी ऑल इंडिया कॉन्ग्रेस वर्किंग कमिटी व कार्यकारिणी समिति, सभी पदाधिकारी और राज्य कॉन्ग्रेस प्रभारी इस्तीफा दे दें लेकिन..."

कॉन्ग्रेस इस समय बड़े ही विचित्र और हास्यास्पद ऊहापोह में फँसी दिख रही है। खबरों के मुताबिक अपने ख़राब और लगातार गिरते हुए (बीच में तीन राज्यों के अपवाद को छोड़कर) प्रदर्शन के चलते राहुल गाँधी अध्यक्ष पद से इस्तीफा देना चाहते हैं, लेकिन पार्टी है कि उनके अलावा समूची टीम का इस्तीफा करा देने के लिए उत्सुक दिख रही है। इस तरह कॉन्ग्रेस अध्यक्ष और कार्यसमिति के बीच पहला ‘लोकतान्त्रिक’ मतभेद दिख भी रहा है तो वह ऐसे अजीब किस्म का कि पार्टी अपने अध्यक्ष को जबरदस्ती अध्यक्ष बनाए रखना चाहती है, जबकि अध्यक्ष ‘जी’ इस्तीफा वापस लेने को तैयार नहीं हैं।

लोकसभा निर्वाचन में दुर्गति के बाद दिया इस्तीफा

लोकसभा में न केवल कॉन्ग्रेस 2019 में सरकार बनाने में असफल हुई है बल्कि लगातार दूसरी बार लोकसभा की 10% (55) से कम सीटें पाने से वह नेता विपक्ष के पद से भी वंचित रह जाएगी। भाजपा के 303 के सामने कॉन्ग्रेस के महज 52 सांसद निर्वाचित हुए हैं। कई-कई राज्यों में तो उसका सूपड़ा ही साफ हो गया है। अध्यक्ष राहुल गाँधी खुद अपने परिवार और पार्टी के पारंपरिक गढ़ अमेठी में स्मृति ईरानी से पराजित हुए हैं। इन्हीं सब कारणों और हर ओर से अपनी राजनीतिक प्रासंगिकता पर उठ रहे सवालों के चलते ही राहुल गाँधी ने कॉन्ग्रेस की कार्यकारिणी समिति में अपना इस्तीफा रख कर उनसे नए अध्यक्ष के चयन का आग्रह किया। कॉन्ग्रेस कार्यकारिणी समिति ने उनके इस्तीफे को नामंजूर कर दिया, पर ऐसा प्रतीत हो रहा है कि उन्होंने इस्तीफा वापस लेने से मना कर दिया है

‘राहुल न दें, बाकी सब दे दें इस्तीफा’

इस बीच कॉन्ग्रेस नेता एमएस रेड्डी ने राहुल को अध्यक्ष बनाए रखने के लिए बड़ा ही ‘अनोखा’ फार्मूला सुझाया है। उन्होंने ‘पूर्ण पुनर्गठन’ के कार्यकारिणी समिति के प्रस्ताव की विवेचना इस प्रकार की है कि राहुल गाँधी की बजाय पूरी ऑल इंडिया कॉन्ग्रेस वर्किंग कमिटी व कार्यकारिणी समिति, सभी पदाधिकारी और राज्य कॉन्ग्रेस प्रभारी इस्तीफा दे दें।

राज्य सरकारें भी खतरे में

लोकसभा की हार और अध्यक्ष पद को लेकर उत्पन्न गतिरोध के बीच ऐसा लग रहा है कि कॉन्ग्रेस को पिछले साल हासिल हुए तीन महत्वपूर्ण राज्यों में से दो राज्य – राजस्थान और कर्नाटक भी उसके हाथ से सरक जाएँगे। कर्नाटक में सबसे बड़े दल भाजपा को दरकिनार कर जद (एस) के साथ चल रही उसकी सरकार के कई विधायकों के कॉन्ग्रेस से भाजपा में जा चुके राज्य के नेता एसएम कृष्णा के संपर्क में होने की खबर आ रही है। वहीं राजस्थान में गुटबाजी के चलते ‘हार की जिम्मेदारी तय करने’ के नाम पर एक-दूसरे के गुट पर गाज गिराने की कोशिश हो रही है। ऐसे में 101 के बहुमत के आँकड़े से जरा ही ऊपर 112 पर बैठी राजस्थान की सरकार भी अस्थिर हो सकती है

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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