10 जनवरी को पिछली सुनवाई के दौरान जस्टिस यूयू ललित ने खुद को मामले से अलग कर लिया था। दरअसल, अयोध्या से जुड़े एक मामले में उनके वकील के तौर पर पेश हो चुकने का मुद्दा उठाया गया था।
CBI डायरेक्टर, सेना प्रमुख, CJI- नेताओं ने अपनी घटिया राजनीतिक बयानबाज़ी में संवैधानिक पदों पर बैठे उच्चाधिकारियों को भी घसीट लिया है। उन पर बिना सबूत घटिया लांछन लगाए जाते हैं- अपनी राजनीति चमकाने के लिए।
इस घटना में अहमदाबाद के नरोदा पाटिया क्षेत्र में 28 फ़रवरी 2002 को भीड़ ने 97 लोगों की हत्या कर दी थी। जिनमें ज़्यादातर कर्नाटक और महाराष्ट्र के प्रवासी थे, भीड़ द्वारा दंगों में मारे गए थे।
जस्टिस खन्ना और जस्टिस माहेश्वरी को सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किए जाने के कॉलेजियम की सिफ़ारिश के ख़िलाफ़ पूर्व CJI लोढ़ा सहित दो अन्य जजों ने नाराज़गी जताई