"5 साल पार्टी में उस औरत की तरह अत्याचार सहन किया, जिसका पति शराबी होता है, जो उसे पीटता है। मगर वो औरत जुल्म सहती रहती है क्योंकि उसे बच्चे पालने होते हैं। हमें भी अपने साथियों के भविष्य की खातिर वो जुल्म सहने पड़े।"
पीएम मोदी ने हरियाणा की जनता को लोकसभा चुनाव में दसों सीटों पर जीत दिलाने के लिए आभार व्यक्त किया। उन्होंने करतारपुर प्रोजेक्ट के लगभग पूरे होने पर भी अपनी खुशी व्यक्ति की और कहा कि वे भाग्यशाली हैं जो उन्हें 70 साल पहले के मुद्दे को सुलझाने का मौक़ा मिला।
राजनाथ ने हरियाणा की पूर्ववर्ती सरकारों की कार्यशैली पर भी निशाना साधा। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने जमीनी स्तर पर काम किया है। कॉन्ग्रेस और इनेलोद के मुख्यमंत्री तो दिल्ली के इशारों पर सरकार चलाते थे।
साल 2019 के विधानसभा चुनावों से पहले कॉन्ग्रेस ने गत वर्ष के विधानसभा चुनावों में भी राजस्थान और मध्यप्रदेश की जनता से कई तरह के वादे किए थे। लेकिन नतीजा आज सबके सामने हैं। किसान अब भी ऋण माफी की गुहार लगा रहे हैं और महिलाएँ अब भी वहाँ असुरक्षित हैं।
एक पिकअप वैन में गो-तस्कर गायों को लेकर जा रहे थे। रात को पेट्रोलिंग कर रही इस टास्क फोर्स ने जब इन तस्करों को देखा तो इनका पीछा किया। करीब 10 किलोमीटर तक टास्क फ़ोर्स ने इनका पीछा किया।
सोनिया गॉंधी ने कॉंन्ग्रेस की कमान संभालने के बाद तंवर को उनके पद से हटा कर पूर्व केंद्रीय मंत्री शैलजा को प्रदेश की जिम्मेदारी दी थी। साथ ही हुड्डा को भी आगे किया जा रहा है, जबकि राहुल गॉंधी ने पूर्व मुख्यमंत्री की तमाम चेतावनियों के बावजूद तंवर को उनके पद से हटाने से इनकार कर दिया था।
निरुपम और तंवर दोनों टिकट बॅंटवारे में उपेक्षा से नाराज हैं। तंवर राहुल के काफी करीबी माने जाते हैं। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा की चेतावनियों के बावजूद राहुल ने उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से नहीं हटाया था। सोनिया के कमान सॅंभालने के बाद तंवर की अनदेखी कर हुड्डा को आगे किया गया।
टिकट बॅंटवारे के बाद हरियाणा के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष अशोक तंवर और मुंबई के पूर्व अध्यक्ष संजय निरुपम ने खुलकर अपनी नाराजगी जताई है। निरुपम ने पार्टी छोड़ने की धमकी दी है। एक के बाद एक दो ट्वीट कर उन्होंने कहा कि शायद पार्टी को अब उनकी जरूरत नहीं रही।
कॉन्ग्रेस नेताओं को डर है सिद्धू के आने से भाजपा को बैठे-बिठाए राष्ट्रवाद का मुद्दा मिल जाएगा, क्योंकि इस ‘पिच’ पर सिद्धू का ‘फॉर्म’ हालिया समय में अच्छा नहीं रहा है। वे न केवल तालिबान-समर्थक पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान के साथ अपनी क्रिकेट के दिनों की दोस्ती को खुल कर ‘फ्रंट-फुट’ पर खेलते हैं, बल्कि वे पाकिस्तानी आर्मी के प्रमुख जनरल बाजवा से गले भी मिल आए थे।