कैसे भूल जाएँ हम 19 जनवरी 1990 की वह सुबह जिस दिन कश्मीरी पंडितों को अपने घरों से पलायन करना पड़ा था और सरकारें मुस्लिम तुष्टिकरण में आतंक का साथ दे रहीं थीं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के संबोधन पर कॉन्ग्रेस नेता शशि थरूर ने निशाना साधते हुए कहा कि 'आत्मनिर्भर भारत' कुछ और नहीं, 'मेक इन इंडिया' ही है जिसकी री-पैकेजिंग कर नया नाम दे दिया गया है।
स्वराज कौशल ने लताड़ लगाते हुए कहा कि जब नसीरुद्दीन प्रलाप करते हैं तो ये उनका विवेकपूर्ण विचार बन जाता है जबकि अनुपम खेर अपने ही देश में शरणार्थी बनाए जाने के बावजूद जब कश्मीरी पंडितों की बात करते हैं तो उन्हें मानसिक रूप से विक्षिप्त कहा जाता है!
अनुपम खेर ने अपने जवाब में कहा कि हम सब जानते हैं आप वर्षों से जिन पदार्थों का सेवन करते हैं, उनकी वजह से क्या सही है और क्या ग़लत है, आपको इसका अंतर ही पता नहीं लगता। मेरी बुराई करके आप एक-दो दिन सुर्खियों में आ सकते हैं, तो मैं आपको ये खुशी भेंट करता हूँ। आप नहीं जानते मेरे ख़ून में क्या है?