Friday, April 19, 2024
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कश्मीरी हिंदुओं की ‘जुबान और चेहरा’ बने अनुपम खेर, कहा- जिहादियों के लिए आधी रात में खुलने वाली अदालत ने हमें सुनने से भी मना कर दिया

"वो सब कश्मीरी हिंदू, जो या तो मार डाले गए या जीते जी एक शव की तरह जीने लगे। अपने पुरखों की जमीन से उखाड़ कर फेंक दिए गए। आज भी न्याय को तरस रहे हैं। अब मैं उन सब कश्मीरी हिंदुओं की जुबान और चेहरा हूँ।”

फिल्मकार विवेक अग्निहोत्री की ‘द कश्मीर फाइल्स’ इन दिनों चर्चा में है। यह फिल्म नब्बे के दशक में कश्मीर में हिंदुओं के नरसंहार और पलायन पर केंद्रित है। इस​ फिल्म में अनुपम खेर की भी भूमिका है। खेर ने सोशल मीडिया के जरिए कश्मीरी हिंदुओं का आवाज और चेहरा बनने की बात कही है। साथ ही बताया है कि कैसे देश की व्यवस्था ने कश्मीर के हिंदुओं की उपेक्षा की।

सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘कू’ और ट्विटर पर उन्होंने एक वीडियो साझा किया है। वीडियो शेयर करते हुए अनुपम खेर ने लिखा है, “आज मैं सिर्फ अभिनेता नहीं रहा। मैं गवाह हूँ और द कश्मीर फाइल्स मेरी गवाही है। वो सब कश्मीरी हिंदू, जो या तो मार डाले गए या जीते जी एक शव की तरह जीने लगे। अपने पुरखों की जमीन से उखाड़ कर फेंक दिए गए। आज भी न्याय को तरस रहे हैं। अब मैं उन सब कश्मीरी हिंदुओं की जुबान और चेहरा हूँ।”

वीडियो की शुरुआत में अनुपम कहते हैं, “ईश्वर की कृपा और आप सबके प्यार व आर्शीवाद से, मैं 522 फिल्में कर चुका हूँ। अनुपम खेर हूँ। पात्र बनता हूँ। अभिनय करता हूँ। हँसाता हूँ। रुलाता हूँ। यही मेरा सारांश है। लेकिन इस बार मैं कोई पात्र नहीं बना। मैंने अभिनय नहीं किया और द कश्मीर फाइल्स कोई डायलॉग भरी कहानी भी नहीं है।”

कश्मीरी पंडितों की बात करते हुए कहा है, “32 साल पहले लाखों कश्मीरी हिंदू तहस-नहस कर दिए गए थे। मेरे हाथ, पाँव, बाजू, ये शरीर जैसे रातों-रात जिहाद ने रौंद डाला। 90 करोड़ का यह भरा-पूरा देश बेखबर रहा। पुलिस मानों गायब हो गई। मीडिया गूँगी-बहरी हो गई। सेना छावनियों में पड़ी रही और कश्मीर हम हिंदुओं से खाली करा लिया गया।”

वे आगे कहते हैं, “कश्मीरी पंडितों के पलायन पर कोई जाँच नहीं हुई। आज तक कोई आयोग नहीं बैठा। कोई मुकदमा नहीं चला। कोई दोषी नहीं पाया गया। किसी को सजा नहीं हुई। हाँ मुद्दा जरूर उछाला गया। लेकिन जिहादियों के लिए आधी रात में खुलने वाली अदालत ने हमें सुनने से भी मना कर दिया।” 

अनुपम खेर ने अपने लिए इस फिल्म का महत्व बताते हुए कहा है, “द कश्मीर फाइल्स फिल्म से कहीं बढ़कर, आप सबकी की अंतरात्मा की अदालत में हम कश्मीरी हिंदुओं की एक दस्तक है। मैं अनुपम खेर नहीं हूँ। मैं अब पुष्कर नाथ हूँ। आप सब तक पहुँचने के लिए छटपटा रहा हूँ। मुझसे मिलिए… द कश्मीर फाइल्स में।”

कुछ समय पहले अनुपम खेर ने इस फिल्म को लेकर अपनी माँ की भावनाओं को भी लोगों के साथ साझा किया था। उस वीडियो में उनकी माँ दुलारी कहती हुई नजर आईं थी, “मुझे सब कुछ पता है क्या किया उन्होंने। जिसने भी ये फिल्म बनाई उसने बहुत अच्छा किया। हम हिंदुओं के लिए बहुत अच्छा किया। मोदी तो बेचारा कर ही रहा है। लेकिन इस फिल्म से पता चलेगा कश्मीरियों के साथ क्या हुआ। अब तक बाहर वालों को क्या पता कि हमारे साथ क्या हुआ था। वो लोग तो हमारी दौलत, हमारा सामान सब कुछ ले गए। सबको ऐसे निकाला जैसे फकीर हों।”

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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