खेत में घुसी गाय को देखकर इन्होंने पहले उसे धारदार हथियार लेकर भगाया और फिर गाँव में एक धार्मिक स्थल के पास उसे घेरकर मारना शुरू कर दिया। घटना में गाय की मौके पर ही मौत हो गई।
महिला की पिटाई करने वाले उसके रिश्तेदार ही हैं। रिश्तेदारों ने यह हरकत तब की जब पीड़िता ने सौतेली बेटी की शादी में अपनी राय नहीं लिए जाने पर विरोध जताया। असल में, सौतेली बेटी का लालन-पालन पीड़िता ने ही किया था।
55 साल के मुस्लिम व्यक्ति को उसके समुदाय के कुछ युवकों ने घर में घुसकर सिर्फ़ इसलिए पीटा था क्योंकि वह अपने घर में बैठकर हिंदुओं की धार्मिक पुस्तक ‘गीता’ पढ़ रहा था। दोनों ही आरोपितों को अदालत द्वारा बिना शर्त जमानत दे दी गई है।
घटना के बाद से गुरुग्राम के उद्योग विहार फेज-1, डुंडाहेड़ा थाने में उत्तराखंड के कई लोग मौजूद हैं। हँगामा लगातार बढ़ता ही जा रहा है। लोगों का आरोप है कि तीनों लड़कों पर जानलेवा हमला किया गया है और पुलिस इस मामले को एक्सीडेंट का केस बताकर टालने का प्रयास कर रही है।
मध्य प्रदेश की शाहिस्ता, रफीक के साथ घर से भागी। उन्होंने अजमेर के होटल में ठहरने के लिए कमरा लिया। दोनों यहाँ शादी करने के लिए आए थे, जिसके लिए उन्होंने वकील से भी बात की थी। लेकिन किसी बात को लेकर दोनों में कहासुनी हो गई और...
गाँव के मंदिर का पुजारी अशोक कई दिनों से अपनी शादी के प्रयास में था। इसका फायदा उठाते हुए दलाल नारायण ने उस से सवा लाख रुपए ठग लिए और एक मुस्लिम महिला से मिलवाया। पुजारी को धोखे में रखने के लिए महिला का नाम गीता बताया गया।
ईसा खान ठगी के लिए मदद के बहाने ट्रांजैक्शन के दौरान पिन नंबर देख लेता था, और फिर कार्ड चुराकर उसे इस्तेमाल करता था। ईसा खान ठगी करने के लिए पलवल से 80 किलोमीटर की दूरी तय करके दिल्ली आता था और काम पूरा करके दोबारा ईएमयू से वापस लौट जाता था।
“भले ही सरकार तुम्हारी है, लेकिन हुकूमत हमारा चलता है। हमारी वजह से तुम्हारा हिंदुस्तान बसा हुआ है। तुम कितना भी कुछ कर लो, पलड़ा हम मुस्लिमों का ही भारी है और अगर हम अपने पर आ गए, तो तुम्हारे घर के बच्चों को भी नहीं छोड़ेंगे।”
"मजरूल और कुछ अन्य लोग मुझ पर लगातार सेंटर बंद करने का दबाव बना रहे थे। उन्हें जलन थी कि मेरे जैसा दलित कैसे मुस्लिम बहुल इलाके में सफलतापूर्वक एक कोचिंग सेंटर चला सकता है, जबकि उनके समुदाय के लोग ऐसा करने में विफल रहे।"
डॉ कुंडू सरफ़राज़ की माँ के कैंसर का इलाज लंबे समय से कर रहे थे। माँ के स्वास्थ्य में कोई सुधार नहीं होने से सरफ़राज़ खिन्न था। इसके बाद वो अपनी माँ को मुंबई ले गया जहाँ उसे पता चला कि उसकी माँ को ग़लत कीमो दिया गया था। इसके कुछ रोज बाद उसकी माँ का देहांंत हो गया।