Tuesday, March 19, 2024
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जुमे की नमाज के बाद दलित महिला से छेड़छाड़, पति को किया अधमरा

"उस दिन शुक्रवार था। नमाज के बाद वो सीधे यहाँ आया, शायद प्लान बनाया हुआ था। मजरूल ने मुझे गंदे ढंग से छुआ, कुर्ता भी फाड़ दिया। छेड़छाड़ करते हुए यह भी कहा कि वो मुझे मुसलमानी बना देगा।"

उत्तर प्रदेश के अमेठी में एक दलित महिला के साथ मारपीट और छेड़छाड़ की गई। समुदाय विशेष के व्यक्ति ने पीड़ित महिला के कार्यस्थल पर पहुँचकर उनका कुर्ता फाड़ने की कोशिश की, जब उनके पति ने उन्हें बचाना चाहा तो आरोपित व्यक्ति और उसके साथ के गुंडों ने मिलकर उसे जाति के आधार पर गाली देते हुए लोहे की रॉड से पीटा। इतना ही नहीं, जब पीड़ित व्यक्ति के भाई-बहन ने रोकने का प्रयास किया तो बदमाशों ने उन्हें भी मारा। जब पीड़ित महिला का पति बेहोश हो गया तो वे गुंडे वहाँ से भाग गए।

यह मामला 21 जून का है। इस पूरे घटना का वीडियो भी वायरल हुआ, पुलिस ने इसकी पुष्टि भी की लेकिन मीडिया गिरोह शांत बैठा रहा – कोई डिबेट नहीं, कोई आउटरेज़ नहीं! सरेआम, दिन-दहाड़े ऐसी घटना पर मीडिया की चुप्पी आश्चर्यजनक थी, इसलिए स्वराज्य मैगज़ीन की पत्रकार स्वाति गोयल शर्मा ने इसकी ग्राउंड रिपोर्टिंग की। इसके बाद इस मामले में कई नए तथ्य सामने आए हैं। स्वाति गोयल की रिपोर्ट के मुताबिक इस दंपती की गलती सिर्फ़ इतनी थी कि उन्होंने दलित होने के बावजूद मुस्लिम बहुल क्षेत्र ‘जैस (Jais)’ में कम्प्यूटर कोचिंग सेंटर खोला। यहाँ वे प्रधानमंत्री डिजिटल इंडिया योजना के तहत इच्छुक लोगों को एक महीने का फ्री कंप्यूटर कोर्स करवाते थे।

पुलिस में दर्ज एफआईआर के मुताबिक 21 जून को शशांक पद्मभूषण सोनकर और उसकी पत्नी गायत्री अपने कोचिंग सेंटर में थे कि तभी दोपहर बाद 3:50 बजे मजरुल हसन नाम का शख्य वहाँ आया और गायत्री के साथ बद्तमीजी करने लगा। गायत्री ने शोर मचाया तो शशांक उसे बचाने वहाँ पहुँचा लेकिन हसन उसे “साले खटीक” कहते हुए सेंटर के बाहर खींच कर ले गया।

5 मिनट के भीतर उसके साथ शब्बू, फैजियाब और रेहान नाम के गुंडे जुड़ गए और सोनकार को लोहे की रॉड से तब तक मारा जब तक वह बेहोश नहीं हो गया। इस दौरान इन्होंने शशांक के भाई-बहन (मयंक और सारिका) पर भी हमला किया।

पुलिस में दर्ज हुई एफआईआर में इन पर आईपीसी धारा-354, 323, 504, 506 के साथ-साथ एससी/एसटी एक्ट के तहत भी मामला दर्ज है। लेकिन इस प्राथमिकी में कहीं भी पुलिस ने हमलावरों के उद्देश्य का उल्लेख नहीं किया है। जबकि सोनकर का कहना है कि उसने पुलिस को सब कुछ बताया था, फिर भी उन्होंने उसे एफआईआर में नहीं जोड़ा।

पीड़ित के मुताबिक इलाके में रहने वाले कुछ समुदाय विशेष वाले चाहते थे कि उनका कोचिंग सेंटर बंद हो जाए। स्वाति गोयल की रिपोर्ट के मुताबिक शशांक बताते हैं, “मजरूल और कुछ अन्य लोग मुझ पर लगातार सेंटर बंद करने का दबाव बना रहे थे। उन्हें जलन थी कि मेरे जैसा दलित कैसे सफलतापूर्वक एक कोचिंग सेंटर चला सकता है, जबकि उनके समुदाय के लोग ऐसा करने में विफल रहे।”

सोनकर के अनुसार उन्हें इस हमले का अंदाजा भी नहीं था। वे कहते हैं, “उस दिन शुक्रवार था। नमाज के बाद वो सीधे यहाँ आया, शायद उन्होंने पहले से इस बारे में प्लान बनाया हुआ था।” शशांक की पत्नी गायत्री ने स्वाति गोयल को बताया कि मजरूल ने गंदे ढंग से उन्हें छुआ और फिर उनका कुर्ता फाड़ दिया। छेड़छाड़ करते हुए मजरूल ने यह भी कहा कि वो उनका धर्मांतरण कर देगा।

इस घटना के समय वहाँ दुकान के मालिक आज़ाद महबूब (जिन्होंने सोनकर को सेंटर चलाने के लिए जगह किराए पर दी थी) और एक छात्रा खतीजा बानो मौजूद थे। महबूब बताते हैं कि जिस समय ये सब हुआ, उस वक्त वो अपनी दुकान में नीचे वाले फ्लोर पर बैठे थे, चूँकि सेंटर छत पर था इसलिए उन्हें नहीं मालूम ऊपर क्या हुआ, लेकिन उन्होंने सोनकर को बाहर खींचते हुए और बेहरमी से पीटते हुए दखा।

महबूब के मुताबिक उन्होंने हमलावरों को रोकने के लिए उनके बीच जाकर उनसे दो बार रॉड भी छीनी, लेकिन वो नहीं रुके। महबूब कहते हैं कि उन्हें अब तक नहीं पता चला कि उस दिन उन लोगों में क्या हुआ था।

महबूब बताते हैं कि मजरूल की खुद की बेटी भी सोनकर के सेंटर में पढ़ने आती थी। जिसके कारण मजरूल ने अपने अपराध को ढकने के लिए सोनकार पर आरोप लगाया कि शशांक ने उसकी बेटी का शोषण किया था, लेकिन जब लड़की से इस बारे में पूछा गया तो उसने इनकार कर दिया।

वहीं दूसरी चश्मदीद खातीजा के मुताबिक मजरूल की बेटी वहाँ पढ़ती जरूर थी, लेकिन पिछले कुछ समय से वो ऐबसेंट चल रही थी। रिपोर्ट के मुताबकि खातीजा कहती हैं कि उसने मजरुल को सेंटर में घुसकर गायत्री के साथ बद्तमीजी करते देखा, लेकिन उसे याद नहीं कि उसने उन्हें जाति से संबंधी गाली दी या नहीं।

इस पूरे मामले पर इलाके के एसएचओ गजेंद्र सिंह ने स्वाति गोयल को बताया कि उन्होंने मजरूल और फैजियाब को गिरफ्तार कर लिया है, लेकिन अभी तक हमले की वजह क्या थी इसका पता नहीं चल पाया है। आरोपितों ने मामले में आगे बोलने से मना कर दिया है, लेकिन जाँच जारी है।

गौतलब है कि इस मामले से संबंधी वीडियो सोशल मीडिया पर खूब वायरल हो रही है। अमेठी की सांसद स्मृति इरानी ने भी इसे अपने सोशल मीडिया से शेयर किया है। इस मामले को अधिकार संस्थान ‘अग्निवीर’ राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग तक लेकर पहुँचे हैं और आयोग के अध्यक्ष को पत्र लिखकर पुलिस पर आरोप लगाया है कि पुलिस इस मामले को बहुत हल्के में ले रही है।

अग्निवीर के संस्थापक संजीव कुमार ने स्वाति गोयल को बताया कि दलित अत्याचार मामलों में बहुत वृद्धि हो रही है। उनके मुताबिक नमाज पढ़ने के बाद उन लोगों ने दलित महिला का शोषण किया और फिर मॉब लिंचर बन गए। उन्हें बिलकुल महसूस नहीं हुआ कि सोनकर अपने सेंटर के जरिए सिर्फ़ मुस्लिम युवक-युवतियों की मदद करने की कोशिश कर रहा था।

संजीव का कहना है कि पुलिस इस मामले को बहुत हल्के में ले रही है। उन्होंने अमेठी पुलिस को ट्वीट भी किया है और पूछा है कि मामले में इतनी कमजोर धाराओं को क्यों लगाया गया है? आखिर क्यों हत्या का मामला दर्ज नहीं किया गया है?

बता दें कि इस मामले में राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग की प्रतिक्रिया आनी अभी बाकी है।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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