"उस रात मैं मुख्यमंत्री आवास पर ही थीं। तभी केजरीवाल के पास एक घायल मरीज के इलाज के लिए फोन आया। उन्होंने फोन पर तड़पते मरीज की मदद करने के बजाए नसीहत दे डाली कि सरकारी अस्पताल क्यों नहीं गए?
कर्नाटक कॉन्ग्रेस सोशल मीडिया सेल के अध्यक्ष श्रीवत्स ने लिखा कि उस फैजान का क्या, जिसे दिल्ली पुलिस ने 'लाठी से पीट-पीट कर मार डाला?' उन्होंने दावा किया कि बाकी के 40 पीड़ित परिवारों को यूँ ही छोड़ दिया गया है। इसी तरह बाकी इस्लामी कट्टरपंथी भी गुस्से में नज़र आए।
दिल्ली विधानसभा की 'शांति और सद्भाव' कमेटी के चेयरमैन आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने कमेटी की पहली मीटिंग के बाद आज अफवाह फैलाने वालों के प्रति दिल्ली सरकार के सख्त रवैय्ये को दर्शाने की कोशिश की।
केजरीवाल ने अंकित शर्मा के परिवार के लिए मुआवजे की घोषणा की। कहा कि साथ ही पीड़ित परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी भी दी जाएगी। हालाँकि, अपनी पार्टी के नेता और निगम पार्षद ताहिर हुसैन पर केजरीवाल ने पूरी तरह चुप्पी साधे रखी और कुछ नहीं कहा।
अरविन्द केजरीवाल और दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया वीरगति को प्राप्त रतन लाल के परिवार से मिलने जैसे ही पहुँचे, आक्रोशित लोगों ने 'केजरीवाल, वापस जाओ' और 'जो बैक केजरीवाल' के नारे लगाने शुरू कर दिए। इसके बाद केजरीवाल उलटे पाँव वहाँ से लौट गए।
केजरीवाल जी ताजा-ताजा बने हनुमान भक्त हैं और भगवान श्री राम हनुमान जी के आराध्य हैं। इसलिए केजरीवाल जी ने दिल्ली की हवा को बिलकुल उसी तरह दण्ड देने का निर्णय लिया है, जिस प्रकार श्री राम ने समुद्र को सुखाने का निर्णय लिया था।
राजनीति में प्रतीकों के गहरे मायने होते हैं। केजरीवाल ने शपथ लेते वक्त संदेश दे दिया है कि चुनाव के दौरान पैदा हुई हनुमान भक्ति फिलहाल चलती रहेगी। तब तक आप की टोपी की जिम्मेदारी नन्हे अव्यान तोमर के सिर पर होगी।
ADR की रिपोर्ट में बताया गया है कि चुने गए MLA में से सबसे अधिक संपत्ति वाले तीनों AAP के ही MLA हैं। जबकि 70 में से 43 MLA के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं और 37, यानि लगभग 53% MLA ऐसे हैं, जिनके खिलाफ खतरनाक आपराधिक मामले दर्ज हैं।
दिल्ली विधानसभा चुनावों में 5 दिन पूर्व एक समाचार चैनल द्वारा आयोजित कार्यक्रम में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने लोगों के कहने पर हनुमान चालीसा का पाठ किया था।
मुफ्त में चीजें देने के बल पर राजनीति हर जगह नहीं चल सकती। ये ट्रेंड दक्षिण भारत से चला लेकिन आज वहीं फेल हो रहा है। ये चुनाव विकास के मुद्दे पर नहीं लड़ा गया, ये स्पष्ट है। फिर मुद्दे क्या थे? जब चुनाव में कोई बड़ा चेहरा आता है, तो दिल्ली उस पर भरोसा जताती है।