एक पाकिस्तानी ने ट्वीट किया, "पहले सुषमा स्वराज और अब अरुण जेटली। इंशाअल्लाह अगले नरेंद्र मोदी और अमित शाह होंगे, क्योंकि इनकी मौत के लिए कश्मीरी दुआ कर रहे हैं। कश्मीर में अत्याचार के लिए ये लोग गुनहगार हैं। ये सब नरक में सड़ेंगे।"
स्व-घोषित 'उदारवादियों' और लिबरपंथियों का यह रेगुलर पैटर्न बन गया है। ये किसी भी भाजपा नेता की मृत्यु के बाद जश्न मनाते हैं। संवेदना, संस्कृति, जीवन-मरण जैसे शब्द इनकी डिक्शनरी में मानो है ही नहीं। अगर होता तो शायद ये वो नहीं होते, जो आज ये बन चुके हैं!
"जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने की ऐतिहासिक भूल से देश को राजनीतिक कीमत चुकानी पड़ी। आज, जबकि इतिहास को नए सिरे से लिखा जा रहा है, उसने ये फैसला सुनाया है कि कश्मीर के बारे में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी की दृष्टि सही थी और पंडित नेहरू जी के सपनों का समाधान विफल साबित हुआ है।"
अरुण जेटली को अगस्त 9, 2019 को साँस लेने में तकलीफ होने के कारण एम्स में भर्ती कराया गया था। इसके बाद उन्हें आईसीयू में शिफ्ट कर दिया गया था और वह कुछ दिनों से लाइफ सपोर्ट सिस्टम पर थे।
लंबे समय से बीमार चल रहे पूर्व वित्त मंत्री अरुण जेटली से मिलने आज देश के राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद एम्स गए। अरुण जेटली की तबीयत इस समय गंभीर है। पिछले एक हफ्ते से वो एम्स के आईसीयू में हैं। फिलहाल उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया है।
अपनी अस्वस्थता के कारण ही जेटली ने मोदी सरकार की दूसरी कैबिनेट में शामिल होने से मना कर दिया था। इसको लेकर उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी भी लिखी थी।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, अरुण जेटली को तत्काल में बिना किसी विभाग के मंत्रिपद का ऑफर दिया गया था लेकिन उन्होंने कहा कि वह सिर्फ़ बंगला और गाड़ी के लिए मंत्रीपद ग्रहण करने वालों में से नहीं है।
पूर्व वित्तमंत्री अरुण जेटली ने शपथ ग्रहण से एक दिन पूर्व ही नई सरकार में स्वास्थ्य कारणों से कोई भी पद स्वीकार करने में अपनी असमर्थता जता दी है। अरुण जेटली ने अपने फैसले की जानकारी नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर दे दी है। उनके इस फैसले से...
अफवाह यह भी उड़ी थी कि अरुण जेटली इस बार वित्त मंत्रालय नहीं संभालेंगे। उनके पिछले तीन सप्ताह से दफ्तर भी नहीं आने के कारण ऐसी अटकलों को आधार मिल गया था।