"मैं सोनिया गाँधी के आशीर्वाद से मुख्यमंत्री बना था। आप सोनिया गाँधी की क़सम खा कर बने हैं। पर मैंने भी मोटाभाई का इगो हर्ट किया था। आप ने भी वही किया। सो, बंगलौर आइएगा। साथ मिल कर रोएँगे।"
सुप्रीम कोर्ट ने बागी विधायकों की याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा था कि उन्हें विधानसभा सत्र में भाग लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता। इसके बाद से बागी विधायक विश्वासमत पर चर्चा से दूर ही रहे हैं। उन्हें मनाने के गठबंधन सरकार के प्रयास अब तक सफल नहीं हो पाए हैं।
राज्यपाल वजुभाई वाला ने मुख्यमंत्री एचडी कुमारस्वामी को बहुमत साबित करने के लिए दूसरी बार 6 बजे तक की डेडलाइन दी थी। कुमारस्वामी ने कहा कि राज्यपाल का वे सम्मान करते हैं, लेकिन उनके दूसरे प्रेम पत्र (डेडलाइन) ने उन्हें आहत किया है।
रौशन बेग 7 बार विधायक रह चुके हैं और वह कॉन्ग्रेस-जेडीएस गठबंधन सरकार में मंत्रीपद न मिलने से नाराज़ चल रहे थे। हाल ही में उन्हें कॉन्ग्रेस ने पार्टी से निलंबित कर दिया था। बेग को राज्य में मुस्लिमों का चेहरा माना जाता है।
कुमारस्वामी ने अपना गुस्सा थर्मल पावर प्लांट के प्रदर्शन कर रहे कर्मचारियों को दिखाते हुए उन्हें अपनी समस्याएँ लेकर मोदी के पास जाने की सलाह दी। कर्मचारियों के पास अपनी गाड़ी की खिड़की से झाँकते हुए कुमारस्वामी ने उन्हें ताना मारा। उन्होंने प्रदर्शनकारियों से पूछा कि क्या उन लोगों को लाठीचार्ज की ज़रूरत है?
वहाँ वे सरकारी विद्यालय में रुके, गद्दे को ठुकरा कर चटाई पर रात व्यतीत की और किसी महँगे रेस्टोरेंट से खाना भी नहीं मँगाया- फिर भी उनके इस कार्यक्रम का बजट 1 करोड़ रुपए के पार हो गया। इस ख़बर को सुन कर लोग हैरान हैं कि ऐसा कैसे हो सकता है?
ऐसा पहली बार नहीं है कि जब गठबंधन सरकार में खींचतान की ख़बरें सामने आई हों, इससे पहले भी मुख्यमंत्री कुमारस्वामी कई बार गठबंधन सरकार चलाने का दर्द बयाँ कर चुके हैं। हाल ही में उन्होंने बयान दिया था कि वो रोज जिस ‘दर्द’ से गुज़रते हैं, वो उसे जनता से बयाँ नहीं कर सकते।