"मुझे हमारी मीडिया से कोई आशा नहीं है। वो इन सारी घटनाओं को नहीं दिखाएगी। ऐसा इसीलिए, क्योंकि उन्हें ऊपर से आदेश है एक समुदाय विशेष को बुरे परिप्रेक्ष्य में दिखाने का।"
ओवैसी ने धार्मिक स्वतंत्रता को लेकर भी कहा था, “भारत का क़ानून, संविधान हमें इजाज़त देता है कि हम अपने धर्म का पालन करें। जब भारत के प्रधानमंत्री मंदिर जा सकते हैं तो हम भी गर्व के साथ मस्जिद जा सकते हैं।”
ओवैसी ने बाबा रामदेव के उस बयान की कड़ी निंदा की जिसमें उन्होंने कहा था कि देश की आबादी नियंत्रित करने के लिए तीसरे बच्चे से वोट का अधिकार छीन लेना चाहिए।
बढ़ती जनसंख्या विकास में बाधक है। ऐसे में जनसंख्या नियंत्रण कानून जरूरी है, ताकि देश का विकास किया जा सके। देश की आबादी को 150 करोड़ से अधिक नहीं होने दिया जाना चाहिए।
श्री लंका में बुर्क़े पर प्रतिबंध लगाने की बात चल ही रही थी कि इसी बीच केरल के एक अल्पसंख्यक कॉलेज ने बुर्क़ा पहनकर आने पर पाबंदी लगाने से संबंधित सर्कुलर जारी किया गया था।
कुछ रोज पहले श्री लंका में आतंकी हमला हुआ था जिसमें 300 से अधिक लोगों के मारे जाने की ख़बर थी और लगभग 500 लोग घायल हुए थे। वहाँ की सरकार ने मुँह ढकने वाले हर तरह के कपड़ों पर प्रतिबंध लगाने का फ़ैसला लिया था।
सामना पत्रिका में 'प्रधानमंत्री मोदी से सवाल, रावण की लंका में हुआ, राम की अयोध्या में कब होगा?' शीर्षक से लिखे संपादकीय में शिवसेना ने माँग की है कि श्रीलंका की तरह ही भारत में भी बुर्का पर प्रतिबंध लगना चाहिए।
किशनगंज में जनसभा को संबोधित करने के दौरान उन्होंने कॉन्ग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि आज कॉन्ग्रेस भाजपा का डर दिखाकर लोगों से वोट माँग रही है। जबकि उसके खुद के शासन काल में भागलपुर के दंगे और बाबरी मस्जिद जैसी घटनाएँ हुईं थीं।
असदुद्दीन ओवैसी ने कहा कि नीतीश कुमार और नरेंद्र मोदी की आशिकी लैला-मजनू जैसी है। जब इनकी दास्तां लिखी जाएगी तो मोहब्बत की जगह नफरत लिखी जाएगी। उसमें लिखा जाएगा कि जब से ये दोनों साथ आए हैं, हिंदुस्तान में हिंदू-मुस्लिम तनाव में हैं।