महिला मड़ियांव की रहने वाली है। उसने पूछताछ में बताया कि युवकों ने उससे खुर्शेदबाग कॉलोनी का पता पूछा था। शुरुआती जॉंच के आधार परा पुलिस और एटीएस का कहना है कि तिवारी की हत्या से महिला का कोई संबंध नहीं है।
राशिद पठान दुबई की जिस कंपनी में काम करता था उसका मालिक पाकिस्तानी ही है। वह हाल ही में घर लौटा था। पठान सहित तीन को एटीएस ने सूरत से दबोचा है। अब एटीएस उसके पाकिस्तानी कनेक्शन को खंगाल रही है।
हाल ही में ख़बर आई थी कि पाकिस्तान ने हिज़्बुल, लश्कर और जमात को अलग-अलग टास्क सौंपे हैं। एक टास्क कुछ ख़ास नेताओं को निशाना बनाना भी था? ऐसे में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि कमलेश तिवारी के हत्यारे किसी आतंकी समूह से प्रेरित हों।
मनोज कुमार ने दावा किया कि उनकी हत्या का 2 बार प्रयास हो चुका है। कुमार ने बताया कि उन पर पूर्व में गोली भी चलाई जा चुकी है लेकिन वह किसी तरह बच निकले।
गौरी लंकेश की हत्या के बाद पूरे राइट विंग को गाली देने वाले नहीं बता रहे कि कमलेश तिवारी की हत्या का जश्न मना रहे किस मज़हब के हैं, किसके समर्थक हैं? कमलेश तिवारी की हत्या से ख़ुश लोगों के प्रोफाइल क्यों नहीं खंगाले जा रहे?
गुजरात पुलिस और योगी की पुलिस को शक की नज़र से देखने वाले यह भी कह सकते हैं कि सबूत मैन्युफैक्चर्ड है। ऐसे लोगों के लिए राँची के काँके में बिरसा मुंडा के नाम पर एक अस्पताल है। वहाँ अच्छी व्यवस्था है।
22 दिसंबर 1926 को स्वामीजी पुरानी दिल्ली के अपने मकान में आराम कर रहे थे। अब्दुल रशीद नाम का एक व्यक्ति उनके कमरे में दाखिल हुआ। स्वामीजी के सेवक को पानी लाने के बहाने बाहर भेजा और सामने से तीन गोलियाँ मार दी।
जब अभियुक्त हिन्दू हो, पीड़ित कट्टरपंथी तब ये शरियत से चलते हैं। तब फतवा निकलता है, तब इसी राष्ट्र के संविधान की होली जला कर कट्टरपंथी वही करता है जो एक बड़ा कट्टरपंथी कहीं से बैठ कर आदेश देता है।
"कमलेश तिवारी के बड़े बेटे के लिए यूपी प्रशासन सरकारी नौकरी की अनुशंसा करेगी। आत्मरक्षा के लिए उसे लाइसेंसी हथियार भी प्रदान किया जाएगा। उन्हें उचित वित्तीय सहायता प्रदान किया जाएगा। इन सभी बातों पर एक समिति द्वारा विचार किया जा रहा है।"
हत्या के 24 घंटों के भीतर ही यूपी पुलिस ने इस मामले में तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया जिनके नाम मोहसिन शेख, फैजान और राशिद अहमद पठान हैं। गुजरात एटीएस के संपर्क में भी यूपी पुलिस है।