भारी संख्या में मामले दर्ज होने के बावजूद किसी को दोषी इसलिए नहीं करार दिया जा पाता है क्योंकि माँस के बीफ़ होने का पता उसके सड़ने के पहले ही लगाया जा सकता है।
आज़ादी के बाद से ही 'सेक्युलरासुर' सरकारें गौ भक्तों को हिकारत भरी नज़रों से देखती रही हैं। 7 नवंबर 1966 को गौ भक्तों के दमन का वह आदेश भी "इंदिरा इज़ इंडिया, इंडिया इज़ इंदिरा" के अंदाज़ में ही दिया गया था।
सौ करोड़ की आबादी, NDA के 45% वोट शेयर में आखिर किसके वोटर कार्ड हैं? फिर सवाल कौन पूछेगा इन हुक्मरानों से? आलम यह है कि तीन चौथाई बहुमत वाले योगी जी के राज्य में, हिन्दुओं को अपने घरों पर लिखना पड़ रहा है कि यह मकान बिकाऊ है!
खेत में घुसी गाय को देखकर इन्होंने पहले उसे धारदार हथियार लेकर भगाया और फिर गाँव में एक धार्मिक स्थल के पास उसे घेरकर मारना शुरू कर दिया। घटना में गाय की मौके पर ही मौत हो गई।
गौ तस्कर नुरैन को पकड़ कर जब पुलिस जाने लगी तो महिलाओं समेत सैकड़ों की संख्या में इकट्ठी भीड़ ने पुलिस को घेर लिया। पुलिस पर लाठी-डंडों और पत्थरों से हमला करने लगे। मौका पाकर कुछ युवक नुरैन को ले भागे और पीछे दौड़ते चौकी प्रभारी पर गोलियाँ भी चलाईं।