कोरोना संक्रमित डॉक्टर ओमप्रकाश चौहान ने शुक्रवार सुबह दम तोड़ दिया। वे लॉकडाउन के दौरान भी अपनी क्लीनिक में मरीजों को देख रहे थे। तीन दिन पहले उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। बताया यह भी जा रहा है कि वे पहले से ही शुगर और बीपी के मरीज थे।
पाकिस्तान में डॉक्टरों का विरोध-प्रदर्शन देश में सुरक्षा उपकरणों की भारी कमी को लेकर सरकार की नीतियों के खिलाफ था। डॉक्टरों के उग्र होने की वजह एक यह भी है कि वहाँ अब तक 13 डॉक्टरों को कोरोना पॉजिटिव पाया गया है। इतना ही नहीं, एक डॉक्टर और एक नर्स की कोरोना से मौत भी हो चुकी है वहाँ।
कैंसर स्पेशलिस्ट डॉक्टर इंद्रनील ख़ान को रातोंरात पुलिस उठा कर ले गई और उन्हें हिरासत में रख लिया। कहा जा रहा है कि सरकार की खामियों को उजागर करने की उन्हें सज़ा दी गई है। चीन में जिन भी डॉक्टरों या प्रबुद्ध जनों ने कोरोना वायरस को लेकर आवाज़ उठाई थी, उन्हें कार्रवाई का सामना करना पड़ा था।
डॉक्टर के मुताबिक उन लोगों ने इस बीच उनकी 3 वीडियो बनाई और बाद में उन्हें नारोल ड्रॉप कर दिया। जिसके बाद वे शिकायत करने थाने पहुँचे और आपबीती पुलिस को बताई।
वह बंगलौर के आर्मी हॉस्पिटल में बतौर पैरामेडिक कार्यरत था। रिटायर होने के बाद उसने 2 नर्सिंग होम खोले और स्वास्थ्य केंद्र में नौकरी करने लगा। वह आयुष्मान भारत योजना के तहत सरकार से ₹14 लाख प्राप्त कर चुका है। जानिए कैसे रंगदारी के एक मामले ने खोली फ़र्ज़ी डॉक्टर की पोल!
गुलशन की मौत के बाद नईम अपने परिवार और अन्य लोगों के साथ अस्पताल पहुँचा और हंगामा शुरू कर दिया। कुछ देर बाद भीड़ डॉक्टर को खींचकर सड़क पर ले आई और बुरी तरह पीटने लगी। भीड़ ने डॉक्टर को पुलिस की जीप से भी खींच लिया।
अस्पतालों, डॉक्टरों, उपकरणों और अन्य संसाधनों की घोर कमी का संकट दोतरफा है। फिर क्यों 75 फीसदी डॉक्टर जुबानी और 12 फीसदी शारीरिक हिंसा के शिकार? सरकारों की नाकामी का खीझ उन पर क्यों? इस गुस्से को सिस्टम से सवाल करने के लिए बचाकर रखिए।
पूर्वी सिंहभूम के सिविल सर्जन ने बताया कि अशरफ को पहले भी इस तरह के आरोपों की वजह से बर्खास्त किया गया था। लेकिन, लिखित माफीनामे के बाद उसे बहाल कर लिया गया था। वहीं, अशरफ ने इसे साजिश बताते हुए बर्खास्तगी को उच्च न्यायालय में चुनौती देने की बात कही है।