वास्तविकता ये है कि आप इतने दिनों से एक ऐसी भीड़ के जमावड़े को किसान का आंदोलन कहते रहे। जिसकी परिभाषा वामपंथी मीडिया गिरोह और विपक्षियों ने गढ़ी और जिसका पूरा ड्राफ्ट एक साल पहले हुए शाहीन बाग मॉडल के आधार पर तैयार हुआ।
शूटिंग के लिए पहुँची जाह्नवी कपूर को किसान प्रदर्शनकारियों ने रोक दिया और जब उन्होंने किसान आंदोलन के पक्ष में पोस्ट शेयर किया, तभी शूटिंग शुरू हो सकी।
सरकार मुख्तार को लाने के लिए कानूनी विकल्पों का सहारा ले रही है। मुख्तार अंसारी को यूपी लाने के लिए गाजीपुर से 3 पुलिसकर्मियों को चंडीगढ़ रवाना किया गया है।
रिलायंस ने इससे पहले कोर्ट में अपनी याचिका दायर करते हुए हस्तक्षेप की माँग की थी। साथ ही कहा था कि तोड़फोड़ की इन गैर कानूनी घटनाओ को पूरी तरह से रोका जाए।
पाकिस्तानी की खुफिया एजेंसी आईएसआई के लिए पंजाब में टारगेट किलिंग करवाने वाले मोस्ट वांटेड गैंगस्टर और खालिस्तानी आतंकी सुख बिकरीवाल को सुरक्षा एजेंसियाँ दुबई से डिपोर्ट करके दिल्ली लाई।
ऐसा लगता है कि ‘प्रदर्शनकारी किसानों’ ने मुख्यमंत्री की अपील पर कोई ध्यान नहीं दिया और अब ऐसा लगता है कि कॉन्ग्रेस नेता भी इस तरह की अराजकता की वाह-वाही कर रहे हैं। वहीं आज भी CM ने टॉवर में तोड़-फोड़ करने वालों के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए हैं।
क्या किसान आंदोलनों से आ रहीं किसानों की मौत की खबरें वास्तव में धरना-प्रदर्शन से जुड़ी हुई मौत हैं? नोटबंदी के दौरान भी '32 दिन में 100 मौत' का चलन देखने को मिला था।