Sunday, November 17, 2024

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मार्क्सवाद

10000 रुपए की कमाई पर कॉन्ग्रेस सरकार जमा करवा लेती थी 1800 रुपए: 1963 और 1974 में पास किए थे कानून, सालों तक नहीं...

कॉन्ग्रेस की पूर्ववर्ती सरकारों ने कानून पास करके भारतीयों को इस बात के लिए विवश किया था कि वह कमाई का एक हिस्सा सरकार के पास जमा कर दें।

गर्म बर्तनों से दागा, पिता का पेशाब पिलायाः अपनी ही माँ को टाॅर्चर करता था ‘द वायर’ का स्तंभकार रहा इनायत परदेशी गिरफ्तार, मौत...

द वायर मराठी जैसे प्रोपेगेंडा साइटों पर लिखने वाले मार्क्सवाली इनायत रंजीत ने अपनी माँ को पीटकर मार डाला। पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर लिया है।

जिस गर्भवती महिला के पेट में लात मारी थी वामपंथी नेता ने, अब वो BJP के टिकट पर लड़ रहीं चुनाव

ज्योत्स्ना जोस ने बीच-बचाव करना चाहा तो उनके हाथ बाँध दिए गए और मारने को कहा गया। उनके पेट पर हमला करने वालों में एक CPIM नेता...

चे ग्वेरा: रक्तपिपासु, होमोफ़ोबिक, नस्लवादी.. मार्क्सवादी क्रांति व लिबरल्स के रूमानी नायक से जुड़े वो खौफनाक तथ्य जिन्हें सभी नकारना चाहते हैं

'ग्वेरावादियों' ने ऐसी किसी भी चीज़ से मुँह मोड़ लिया, जो ग्वेरा की आदर्श छवि के साथ फिट नहीं बैठती। ग्वेरा निश्चित ही एक जल्लाद था। उसकी नजरों में इंसानों की मौत कुछ भी नहीं थी।

नक्सली गतिविधियों और माओवादी विचारधारा के प्रचारक DU प्रोफेसर हनी बाबू के घर पर NIA की छापेमारी, मिले अहम दस्तावेज

54 वर्षीय हनी बाबू यलगार परिषद हिंसा मामले में 4 अगस्त तक की एनआईए हिरासत में हैं। हनी बाबू को एनआईए ने 28 जुलाई को गिरफ्तार किया था।

बेशुमार दौलत, रहस्यमयी सेक्सुअल लाइफ, तानाशाही और हिंसा: मार्क्स और उसके चेलों के स्थापित किए आदर्श

कार्ल मार्क्स ने अपनी नौकरानी को कभी एक फूटी कौड़ी भी नहीं दी। उससे हुए बेटे को भी नकार दिया। चेले कास्त्रो और माओ इसी राह पर चले।

पतित वामपंथी चीन की वैश्विक विषाणुता (विषता) का एक मात्र सार्थक समाधान है वैष्णव मार्ग

मार्क्स या माओ के जीवन दर्शन की राह पर चलने वाले वामपंथी अतिवादी बौद्धिक जैव विषाणुओं से अधिक हिंसक हैं। इस नरपिपासु वर्ग ने ही कोरोना जैसे विषाणुओं का आविष्कार करके दुनिया को अभूतपूर्व त्रासदी की स्थिति तक पहुँचा दिया है।

सीताराम येचुरी के लिए तीसरी बार भी राज्यसभा का रास्ता बंद, अपनी पार्टी के नेता ही बने रोड़ा

पश्चिम बंगाल की 5 राज्यसभा सीटों के लिए 26 मार्च को चुनाव होने हैं। ऐसे में पश्चिम बंगाल में विधायकों के आँकड़े के लिहाज से 4 राज्यसभा सीटें टीएमसी के हिस्से में जाना तय हैं और बाकी एक सीट अन्य के खाते में जा सकती है।

जातिवाद और साम्प्रदायिकता ही कम्युनिस्टों का ‘बाज़ार’ है, वो इसे भला खत्म क्यों होने देंगे?

जातिवाद खत्म करने वाली आर्थिक ताकत मुक्त बाज़ार के कम्युनिस्ट दुश्मन हैं। सड़कें न बनने देने वाले, स्कूलों में बम लगा देने वाले माओवादियों के पैरोकार हैं।

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