एनडीटीवी का वित्तीय परफॉरमेंस लगातार गिर रहा है और ये निवेशकों के लिए चिंता का विषय बना हुआ है। ईडी और इनकम टैक्स की कार्रवाइयों के कारण कम्पनी की साख पहले से ही गिरी हुई है। अब ऑडिटर्स रिव्यू में नए खुलासे हुए हैं।
'द हिन्दू' लिखता है कि ऑटोमोबाइल सेक्टर में खुशियाँ आ गई हैं। उसी दिन उसका भाई 'बिजनेस लाइन' लिखता है कि खुशियाँ नहीं आईं हैं। ये दोनों 'घोड़ा-चतुर' खेल कर पाठकों को पागल बना रहे हैं। एक ही ख़बर को दो तरीके से पेश किया जा रहा है। मंदी है भी, नहीं भी। सब ठीक भी है, नहीं भी......
हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला की बहू और डबवाली से विधायक नैना चौटाला से जब गोल्डी गोयल ने उनकी रैली को लेकर और बसपा से उनकी जेजेपी का गठबंधन टूटने को लेकर सवाल पूछे तो वो अचंभित हो उठीं। उन्होंने गोल्डी की जानकारी को लेकर...
शाह महमूद कुरैशी का कहना है कि मनमोहन सिंह ने उनके न्योते का पत्र लिखकर जवाब दिया है। बकौल कुरैशी पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा है कि वे आम आदमी की हैसियत से समारोह में हिस्सा लेंगे।
घरेलू ऋण को चुकता करने के लिए कंपनी अपनी संपत्तियों को बेचने की दिशा में आगे बढ़ रही है। 205 मेगावाट के सोलर प्लांट की ब्रिकी से 1,300 करोड़ रुपए मिलने की उम्मीद है। 80 मेगावाट पावर प्लांट सहित अन्य संपत्तियों की ब्रिकी को लेकर भी बातचीत चल रही है।
मेयर ने हालात की जिम्मेदारी लेने से इनकार करते हुए कहा कि संप हाउस के परिचालन की ज़िम्मेदारी बुडको की है। संप हाउसों का पंप नहीं चला, इस कारण राजधानी का पानी नहीं निकल पाया। उन्होंने नालों की सफाई कराने का भी दावा किया है।
जब दर्शक बढ़ रहे हैं, उनका जन्म बिलकुल ही अलग समय में हुआ है, तब न्यूज वाले उनके दादा की जवानी के शो क्यों चला रहे हैं? याद कीजिए कि चौबीस घंटे का न्यूज टेलीविजन जब से आया है, आपने न्यूज डिबेट में क्या बदलाव देखे हैं? आपको याद नहीं आएगा।
नीतीश कुमार ने कहा, "तो भाई आखिर इसका क्या अर्थ होने वाला है। कहाँ ले जाना चाहते हैं समाज को, किस तरह की भाषा का प्रयोग करते हैं? आपको कोई भ्रम है क्या कि आपकी भाषा के प्रयोग करने से कुछ होता है? कुछ नहीं होता है...."
पश्चिम बंगाल के नदिया जिले में मुस्लिम आलिम द्वारा काले जादू का उपयोग करके किए गए इलाज में 10 साल के बच्चे की मौत हो गई। मगर मीडिया गिरोह ने इस अपराध को हिन्दू तांत्रिक द्वारा किए गए अपराध के रूप में फैलाया।
The Hindu ने भारतीय सेना के बारे में बड़े ही स्पष्ट और सीधे शब्दों में लिखा है, मगर प्रदर्शनकारियों के बारे में लिखते हुए इसी अखबार के शब्द खत्म हो गए! या फिर यूँ कहें कि ये भी प्रोपेगेंडा फैलाने वाले गिरोह का हिस्सा बनकर अराजत तत्वों का तुष्टिकरण करना चाहते हैं।