1984 में अपनी माँ इंदिरा गाँधी की हत्या के बाद हुए आम चुनावों में राजीव गाँधी के नेतृत्व में कॉन्ग्रेस को 404 सीटें मिलीं थीं, और जनसंघ को पुनर्जीवित कर बनी भाजपा महज़ 2 सीटों पर सिमट गई थी। सोनिया गाँधी ने उन्हीं चुनावों को याद कराते हुए कहा कि......
"वह (मोदी) ऐसी भाषा में बात करते हैं जो उन्हें लोगों से जोड़ती है। जब तक हम यह न मान लें कि वह ऐसे काम कर रहे हैं, जिन्हें जनता सराह रही है और जो पहले नहीं किए गए, तब तक हम इस व्यक्ति का मुकाबला नहीं कर पाएँगे।"
केन्द्र शासित प्रदेश बनने के बाद देश के अन्य प्रदेशों की विधानसभा की तरह ही जम्मू-कश्मीर विधानसभा का कार्यकाल भी पॉंच साल ही होगा। जब तक गुलाम कश्मीर भारत का हिस्सा नहीं बनता सदन की 24 सीटें खाली रहेंगी। यूटी लद्दाख में विधानसभा नहीं होगी।
राज्यसभा के सभापति एम वेंकैया नायडू ने बताया कि इस बार कुल 35 बैठकें हुईं और 104.92 प्रतिशत कामकाज हुआ। वहीं, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने कहा कि यह 1952 के बाद सबसे स्वर्णिम सत्र रहा है। इसमें 134 फीसदी कामकाज हुआ।
भाजपा की ओर से लोक सभा में मोर्चा संभालने वालों में से एक थे लद्दाख के सांसद जाम्यांग त्सेरिंग नामग्याल, जिन्होंने राज्य के विभाजन के समर्थन में लद्दाख का पक्ष रखा।
महत्वपूर्ण फैसला लेते हुए केंद्र सरकार ने वर्तमान जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग कर दिया है। इस फैसले के बाद जम्मू-कश्मीर अब केंद्र शासित प्रदेश बन गया है। इस तरह मोदी सरकार ने राज्य को दो केंद्र शासित प्रदेशों में विभाजित करने का निर्णय लिया है: जम्मू-कश्मीर और लद्दाख।
महबूबा मुफ़्ती ने केंद्र से सवाल किया कि यात्रियों, पर्यटकों और छात्रों को कश्मीर से जाने को कहा गया है, कश्मीरियों को राहत देने की कोशिश नहीं की जा रही है। कहाँ गई इंसानियत, कश्मीरियत और जम्हूरियत?”
राज्यसभा में विधि-विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) मतलब UAPA संशोधन विधेयक को पारित कर दिया गया। बिल के पक्ष में 147 और विपक्ष में 42 वोट पड़े। इस बिल में आतंक से संबंध होने पर संगठन के अलावा किसी शख्स को भी आतंकी घोषित करने का प्रावधान शामिल है।