आने वाले दिनों में विषवमन ज्यादा होगा, रवीश जी ज्यादा लिखेंगे, ज्यादा बोलेंगे और अंतरात्मा को बार-बार बुलाएँगे। फिर भी आप इन धूर्तों को टीवी पर देखा कीजिए, इनके लेख पढ़ा कीजिए ताकि आपको पता चलता रहे कि नैरेटिव बनता कैसे है।
पाकिस्तानी सरकार के पास 'अच्छे आतंकी' हैं, जो उनके भारत-विरोधी अजेंडे को सेना के शह पर अंजाम देती है जो सेना स्वयं खुल्लमखुल्ला नहीं कर सकती। वैसे ही एनडीटीवी जैसों के पास 'निष्पक्ष' पत्रकार हैं जो 'निजी राय' के नाम पर कॉन्ग्रेस के लिए भाजपा-विरोधी अजेंडा चलाते हैं।
ख़ुद को रवीश का फैन बताने वाला अरुण पुलिस के डर से ट्विटर छोड़ कर भाग खड़ा हुआ, क्योंकि उसकी सारी करतूतें एक-एक कर के सामने आ रही थीं और लोग दिल्ली पुलिस को टैग कर के उस पर कार्रवाई की माँग कर रहे थे।
पूर्वी चम्पारण में स्थित सोमेश्वरनाथ महादेव की धरती- अरेराज। रवीश ने अपने गृहक्षेत्र में भोजपुरी में झूठ बोल कर दूसरों को 'लबरा' बताया। प्रधानमंत्री पर गंभीर आरोप लगाए। रवीश कुमार ने अब पत्रकारिता छोड़ कर नेतागिरी शुरू कर दी है। इसका नमूना बिहार में देखने को मिला।
छत्तीसगढ़ की कॉन्ग्रेसी सरकार की ओर से पत्रकारिता क्षेत्र के लिए पंडित माधवराव सप्रे राष्ट्रीय रचनात्मकता सम्मान दिया जाना है, जो एनडीटीवी के मैनेजिंग एडिटर रवीश कुमार को दिया जाना तय किया गया है।
रवीश कुमार ने एक रिपोर्टर के रिपोर्ट का मजाक सिर्फ इसलिए उड़ाया क्योंकि वो रिपोर्टर उनके इतना बड़ा पत्रकार नहीं है और उसने रिपोर्ट अयोध्या के दीपोत्सव पर लिखी। आखिर रवीश से उम्मीद भी तो यही बची है।
वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार मेक्सिको और अमेरिका के झगड़े पर बात करते रहे। डोनाल्ड ट्रम्प से लेकर मानव तस्करी तक, रवीश कुमार ने इस मुद्दे को मथ कर रख दिया लेकिन पूरे 'प्राइम टाइम' के दौरान उन्हें कमलेश तिवारी पर बात करने के लिए एक मिनट भी नहीं मिला।
जब हमले नहीं हों तो रवीश कहते हैं कि कश्मीरी संगीनों के साये में जी रहे हैं, उनकी आवाज़ दबाई जा रही है। जब आतंकी हमला होता है तो वह सरकार और सुरक्षा बलों को घेरते हैं। दोनों हाथों में लड्डू रखने के लिए मीठी आवाज़ में हर ख़बर में 'नौकरी' घुसेड़ देना ही काफ़ी है।