गहलोत ने कहा था कि राजस्थान में किसी बच्चे की मौत पर उसके घर जाकर पीड़ित परिजनों से मिलने की परंपरा नहीं रही है। इसका जवाब देते हुए पायलट ने कहा है कि अगर ऐसी परंपरा नहीं रही है, तो ये परंपरा डालनी चाहिए।
बीकानेर में दिसंबर में 261 जबकि जोधपुर में 146 बच्चों की मौत। पूरे साल का आँकड़ा और भी भयानक - दोनों जिलों में 2433 बच्चों की मौत। राज्य के सरकारी तंत्र ने वजह बताई - कई बच्चों को देरी से अस्पताल लाया गया, कई नवजात कम वजन वाले थे। लेकिन सरकारी बयान के उलट की सच्चाई - एक बेड पर तीन-तीन बच्चों का इलाज, 40 में से 10 वेंटिलेटर ख़राब।
प्रदेश कॉन्ग्रेस सचिव नईमुद्दीन गुड्डु और उसके समर्थकों ने कॉन्ग्रेस नेता कुंदन यादव को अस्पताल परिसर में ही पीट डाला। कुंदन के कपड़े तक फाड़ डाले। कॉन्ग्रेसियों के इस बवाल के कारण काफी देर तक अस्पताल में अराजकता का माहौल रहा।
कोटा में सौ से अधिक बच्चों की मौत को CAA से जोड़ चुके राजस्थान के सीएम ने एक और विवादित बयान दिया है। सीएए वापस नहीं लेने पर उन्होंने विभाजन की बात कही है। जबकि उनके ही डिप्टी सचिन पायलट कह रहे हैं कि कोटा के मामले में सरकार ने संवेदनशीलता नहीं दिखाई।
बीजेपी सरकार पर पैसे नहीं देने का आरोप लगाने वाले राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री अब बजट की कोई कमी नहीं होने की बात कह रहे। फिर भी अस्पताल में 533 में से 320 उपकरण ख़राब पड़े हुए हैं। 19 वेंटिलेटर में से 14 ख़राब हैं।
कोटा के जेके लोन अस्पताल में शुक्रवार की सुबह एक और बच्ची ने दम तोड़ दिया। लेकिन, खस्ताहाल अस्पताल में स्वास्थ्य मंत्री को फील गुड कराने का प्रशासन ने पूरा इंतजाम कर दिया है। वैसे भी जिस राज्य के सीएम ही मौतों को CAA से जोड़े वहॉं अधिकारियों से उम्मीद रखना भी बेमानी है।
गहलोत को पता है कि गोरखपुर और मुजफ्फरपुर में बच्चों की मौत पर चीखने वाली मीडिया को नरगिस के मॉं-बाप की सिसकी सुनाई नहीं देगी। रेखा और कांता तो खैर हिंदू नाम हैं। उनके माँ-बाप का रूदन तो वैसे भी उन्हें सुनाई पड़ना नहीं है।
बच्चों की मौत का मामला सामने आने के बाद पिछले सप्ताह 27 हीटर खरीदे गए। इन्हें वार्डों में लगाया जाना था। लेकिन, खरीदे जाने के बाद ये हीटर कहॉं गए इसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है। अंदाजा लगाया जा सकता है गहलोत सरकार कितनी गंभीर है।
सिंध से आई दमी कोहली जोधपुर के पास एक रिफ्यूजी कैंप में रहती है। सालभर से यहीं पढ़ाई कर रही है। 11वीं की परीक्षा भी यहीं से पास की। बावजूद इसके राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड ने उसका 12वीं का परीक्षा फॉर्म खारिज कर दिया है।
"अति दुःखद है कॉन्ग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व व खासकर प्रियंका गाँधी की इस मामले में चुप्पी साधे रखना। अच्छा होता कि वह यूपी की तरह उन गरीब पीड़ित माँओं से भी जाकर मिलतीं, जिनकी गोद केवल उनकी पार्टी की सरकार की लापरवाही के कारण उजड़ गई हैं।"