पार्टी में ही इस तरह से खुलेआम विरोध को देखते हुए जदयू का अपने इन बागी नेताओं पर कार्रवाई की उम्मीद की जा रही है। अब देखना यह है कि लोकसभा चुनाव के बाद क्या होता है।
पांडेय बंधु सरकार की तारीफ करते हुए कहते हैं कि भाजपा सरकार की उज्ज्वला योजना से उन्हें बिजली मिली, लोगों को घर मिले, किसानों को भी फायदा मिला और पाकिस्तान पर भी सर्जिकल स्ट्राइक की गई।
मायावती को पिछले 33 वर्षों से क़रीब से जानने की बात करते हुए नसीमुद्दीन ने कहा कि राजनीति में कुछ भी असंभव नहीं होता। मायावती पर इस तरह का दबाव बनेगा कि वह भाजपा का हिस्सा बन जाएँगी। नसीमुद्दीन ने दावा किया कि जितना वह मायावती को जानते हैं, उतना वह स्वयं को भी नहीं जानतीं।
आज़ाद के इस बयान का सीधा इशारा यही था कि भाजपा को सरकार बनाने से रोकने के लिए कॉन्ग्रेस कोई भी 'त्याग' करने को मंज़ूर है और अगर राहुल गाँधी के अलावा किसी अन्य नेता के नाम पर सहमति नहीं बनती है तो कॉन्ग्रेस के समर्थन से किसी अन्य समर्थक दल के नेता को प्रधानमंत्री उम्मीदवार बनाया जा सकता है।
जब ये घटना हुई, तब प्रियंका के रोड शो की शुरुआत नहीं हुई थी। जिस व्यक्ति की पिटाई हुई है, वह पेशे से अधिवक्ता है। पुलिस द्वारा बीच-बचाव करने के बाद कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं को शांत कराया जा सका।
जो चप्पल फेंकी गई, वो सीधे भीड़ में जाकर गिरी। इसके बाद कुछ लोग कमल हासन के मंच के नजदीक पहुँच गए और उनके ख़िलाफ़ नारेबाजी शुरू कर दी। कमल हासन का विरोध किया गया। कमल हासन ने वहाँ उपस्थित भीड़ को धीरज रखते हुए चिंता न करने की सलाह दी।
तृणमूल सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने बग्गा पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि किसी को भी जलूस निकालने की इजाजत है लेकिन इसमें बाहरी लोग शामिल थे। तेजिंदर बग्गा को बाहरी बताते हुए उन्होंने पूछा कि आख़िर यह व्यक्ति है कौन? राज्यसभा सांसद डेरेक ने पूछा कि क्या बग्गा वही व्यक्ति नहीं है, जिसनें दिल्ली में किसी को थप्पड़ मारा था?
अपने नेता का बचाव करते हुए कमल हासन की पार्टी मक्कल नीधि मय्यम ने कहा, “भाषण को संदर्भ से परे समझ लिया गया है और दुर्भावना से एंटी-हिन्दू बताया जा रहा है। इससे आम आदमी में कन्फ्यूजन और चिंता पैदा हो रहा है। आम आदमी इस साजिश को नहीं जानता।”