फिल्म निर्देशक विवेक अग्निहोत्री ने दी क्विंट के इस प्रोपेगैंडा को ध्वस्त करते हुए वेबसाइट को चैलेंज भी किया था कि वह साबित करें कि यह एक फेक और सोची समझी घृणा फैलाने के मकसद से जारी किया गया स्क्रिप्टेड वीडियो नहीं है या फिर इसे डिलीट कर दें।
अग्निहोत्री ने बताया कि 'द क्विंट' ने इस पूरे ड्रामे की साज़िश पहले ही रच ली थी। अर्थात, एक स्क्रिप्ट तैयार कर के एक जूनियर आर्टिस्ट को कैब ड्राइवर बनाकर NRC के नाम पर उससे अभिनय करवाया गया और दर्शकों को इसे सच बता कर परोस दिया गया। ये सब कुछ एक ड्रामा है।
The Kashmir Files की शूटिंग कश्मीर में ही होगी। यह प्रधानमंत्री की उस अपील के मुताबिक होगा, जिसमें उन्होंने मनोरंजन उद्योग से कश्मीर में शूटिंग को बढ़ावा देने की गुज़ारिश की थी।
विवेक अग्निहोत्री ने अपनी अगली फ़िल्म की घोषणा कर दी है। पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की मृत्यु के पीछे से जुड़ा सच सामने लाने के लिए 'द ताशकंद फाइल्स' नामक फ़िल्म का निर्देशन करने के बाद उनका अगला प्रोजेक्ट कश्मीरी पंडितों के विस्थापन पर आधारित होगा।
फ़िल्म को समीक्षकों के एक गिरोह ने रिव्यु करने से या तो मना कर दिया या नेगेटिव रिव्यु दिया। मीडिया गिरोह ने इसे प्रोपेगंडा बताया। बस 250 स्क्रीन्स में रिलीज होने वाली एक छोटी सी फ़िल्म से इतना ज्यादा भय? इसका अर्थ है कि इसके निर्माण के पीछे का मोटिव सफ़ल रहा।
ताशकंद फाइल लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमय मौत के बारे में बात करती हैं। विवेक ने कहा कि उनसे नफरत करने में इन "उदारवादियों" ने लाल बहादुर शास्त्री से सिर्फ इसलिए नफरत करना शुरू कर दिया है क्योंकि वह राष्ट्रवाद के प्रतीक थे।
लीगल नोटिस पर विवेक अग्निहोत्री ने कहा, “मुझे ऐसा लग रहा है कि कॉन्ग्रेस के शीर्ष परिवार से किसी ने उन्हें हमें कानूनी नोटिस भेजने के लिए उकसाया है। यह कोई प्रोपगेंडा फिल्म नहीं है। मुझे नहीं पता कि लोगों को फिल्म से क्या दिक्कत है।"
ऑपइंडिया लेकर आया है विवेक अग्निहोत्री को भेजी गई लीगल नोटिस की एक्सक्लूसिव कॉपी। साथ ही पढ़ें 'द ताशकंद फाइल्स' के निर्देशक का एक्सक्लूसिव स्टेटमेंट। कॉन्ग्रेस क्यों रोकना चाहती है फ़िल्म की रिलीज? किसने 7 अप्रैल को फ़िल्म को सराहा और उसके बाद नोटिस भेज दिया?
वैसे तो फ़िल्म 12 अप्रैल को रिलीज होने वाली है लेकिन ऑपइंडिया आपके लिए लेकर आया है 'द ताशकंद फाइल्स' का रिव्यु। एक्टिंग, निर्देशन और स्क्रिप्ट से लेकर फिल्म के थीम की गहन एवं विस्तृत समीक्षा। और हाँ, मिथुन चक्रवर्ती का वो डायलॉग...
अब देखना ये है कि लोकसभा चुनाव तक ये पूरा गिरोह और कौन-कौन से रंग दिखाता है? कितना नीचे गिरता है? कौन-कौन सी संस्थाओं पर आरोप मढ़ता है? खुद जज बनकर फैसले सुना, उनका असर न होता देख क्या-क्या हरकत करता है? खैर, जनता तो इनके पूरे मजे लेने को तैयार है।