फैसल का यह ट्वीट कॉन्ग्रेस के दिग्गज नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम की सराहना मिलने के बाद सामने आया है। चिदंबरम ने अनुच्छेद 370 पर सरकार के फैसले की आलोचना करते हुए फैसल के उस बयान का हवाला दिया था जिसमें उन्होंने इसे कश्मीरियों के साथ "सबसे बड़ा विश्वासघात" बताया था।
शाह फैसल ने जिस प्रकार से बयान देकर अलगाववादियों का समर्थन करने की कोशिश की है। वह शर्मनाक है राज्य की शिक्षा व्यवस्था से लेकर चुनावों तक में खलल डालने वाले अलगाववादी नेता घाटी के लोगों को इन सबके ख़िलाफ़ भड़काते हैं, लेकिन अपने बच्चों को विदेश भेजकर उच्च शिक्षा सुनिश्चित करते हैं।
वो कहते हैं कि उन्हें दुःख है कि कश्मीरियों की हत्या हो रही है और केंद्र सरकार कुछ नहीं कर रही है। देश के विरुद्ध खुली यलगार करने वाले पत्थरबाजों से उन्हें सहानुभूति हो जाती है। अलगाववादी नेताओं में उन्हें लीजेंड नज़र आने लगता है।
फ़िलहाल तो फैसल को अपनी राजनीतिक उड़ान में कई दिक़्कतों का सामना करना पड़ेगा क्योंकि हिज़्बुल मुज़ाहिदीन संगठन ने शाह फैसल के राजनीति में आने के क़दम पर कड़ा ऐतराज जताया।
कभी भारत को रेपिस्तान कहने वाले विवादित IAS टॉपर शाह फैसल उमर अब्दुल्ला की पार्टी NCP में शामिल हो सकते हैं। उनके कुपवाड़ा से लोकसभा चुनाव लड़ने की उम्मीद है।