आरोग्य सेतु ऐप को डाउनलोड करने की सलाह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी अपने संबोधन में दी थी। यह ऐप न केवल आपको कोरोना के बारे में सभी जानकारी उपलब्ध कराता है, बल्कि कोरोना वायरस संक्रमण के खतरे और जोखिम का आकलन करने में भी मदद करता है।
"भारत के लोगों ने जिस तरह से इस पर अमल किया, हम उसका समर्थन करते हैं। हमारे पास इसका विस्तृत आँकड़ा नहीं है, लेकिन हमें लगता है कि आप लॉकडाउन के माध्यम से कोरोना के बहुत बड़े प्रकोप को रोकने में सक्षम हैं।"
स्वास्थ्य मंत्रालय ने यह भी बताया कि लॉकडाउन की बजाए यदि कुछ सीमित कदम ही उठाए गए होते तो भी भारत में संक्रमितों की संख्या 2 लाख के पार हो जाती। केंद्र सरकार ने ये भी कहा है कि वो विभिन्न राज्यों के मुख्यमंत्रियों द्वारा लॉकडाउन बढ़ाने के सुझाव पर विचार कर रही है।
मृत बच्चे के पिता का कहना है कि जहानाबाद सदर अस्पताल में डॉक्टरों ने रिशू को पटना मेडिकल कॉलेज एवं अस्पताल रेफर कर दिया। लेकिन एंबुलेंस का कोई इंतजाम नहीं किया, जबकि अस्पताल में दो-तीन एंबुलेंस खड़ी थीं। लॉकडाउन के कारण वे खुद भी किसी निजी गाड़ी का इंतजाम नहीं कर पाए।
205 देशों में फैल चुके कोरोना वायरस संक्रमण पर काबू पाने के लिए फिलहाल कोई वैक्सीन नहीं है। लेकिन, इस दिशा में दुनियाभर में युद्धस्तर पर काम चल रहा है। लेकिन, इस मर्ज की दवा बनाने में सबसे बड़ी बाधा समय की है। जो ड्रग्स क्लीनिकल ट्रायल्स के स्टेज 3 में भी हैं, उनके भी मरीजों तक पहुॅंचने में अभी 6 महीने और लगेंगे।
भारतीय चिकित्सा अनुसन्धान परिषद ने बताया कि अभी तक उसने कुल 1,21,271 टेस्ट किए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने आश्वस्त किया कि देश में हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वीन की कोई कमी नहीं होगी। मंत्रालय ने कहा कि न कोई कमी है और न ही भविष्य में ऐसा होने की कोई संभावना है।
ICMR के रमन गंगाखेडकर ने जानकारी देते हुए बताया कि पूरे देश में अब तक कोरोना वायरस के 1,07,006 टेस्ट किए गए हैं। वर्तमान में 136 सरकारी प्रयोगशालाएँ काम कर रही हैं। इनके साथ में 59 और निजी प्रयोगशालाओं को टेस्ट करने की अनुमति दी गई है, जिससे टेस्ट मरीज के लिए कोई समस्या न बन सके। वहीं 354 केस बीते सोमवार से आज तक सामने आ चुके हैं।
भारत 'कोरोना कर्व' को 'फ्लैट' करने की तरफ़ बढ़ रहा है। अगर यह सिलसिला जारी रहा तो यह जल्द ही कुछ राहत लेकर आएगा। इसकी वजह केंद्र और राज्य सरकारों द्वारा उठाए गए कदम हैं। सरकारों ने 12 मार्च के बाद ही जगह-जगह एहतियाती कदम उठाने शुरू कर दिए थे।
"भारत में लॉकडाउन को उस समय पूरी तरह से लागू कर दिया गया था, जब भारत में बहुत कम कोरोना के मामले सामने आए थे। इस बात से अंदाजा लगा सकते हैं कि निश्चित तौर पर यह भारत सरकार का दूरगामी फैसला था। यही कारण है कि इतनी बड़ी आबादी वाले देश में यह महामारी तेजी से नहीं फैल सकी। सरकार का यह एक साहसिक फैसला है।"
स्वास्थ्य मंत्रालय ने निजामुद्दीन क्षेत्र में कई कोरोना मरीजों के मस्जिद में छिपे मिलने वाली घटना पर टिप्पणी करते हुए कहा कि ये फाल्ट-फाइंडिंग का समय नहीं है बल्कि जल्द से जल्द एक्शन लेने का वक़्त है।