Monday, December 23, 2024

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हिंदी साहित्य

हिन्दी दिवस: एक भाषा ज़्यादा सीख लेने से संस्कृति कैसे बर्बाद होती है?

आप सोचिए कि हिन्दी जानने से आपकी संस्कृति कैसे प्रभावित हो रही है? अगर यह कहा जाए कि तुम तेलुगु छोड़ दो, और हिन्दी पढ़ो; तमिल में लिखे सारे निर्देश हटा दिए जाएँगे; कन्नड़ में अब नाटक या फिल्म नहीं बनेंगे; मलयालम की किताबों को जला दो... तब उसे हम कहेंगे कि 'हिन्दी थोपी जा रही है।'

‘जानता है मेरा बाप कौन है’ – यह बीमारी सिर्फ कॉन्ग्रेस में नहीं, हिंदी साहित्य के ठेकेदारों में भी

ये स्वयं को प्रधानमंत्री की अवमानना के लिए स्वतंत्र मानते हैं परन्तु अपने विरोध में उठे एक स्वर पर भी दिल्ली-सुलभ 'जानता है मेरा बाप कौन है' का फ़िकरा फ़ेंक के मारते हैं। प्रसिद्ध पिता के प्रताप से वंचित लेखक व्यंग्य ही लिखेगा और आशा करेगा कि बिना दीक्षा और समीक्षा के...

विरोध के बाद हटाई गई हिंदी की अनिवार्यता, सरकार ने समझाया ‘यह नीति नहीं, सिर्फ़ ड्राफ्ट है’

जिस हिस्से में बदलाव किया गया है, उसमें पहले व्यवस्था दी गई थी कि हिंदी भाषी राज्यों में विद्यार्थी हिंदी व अंग्रेजी के सिवा एक अन्य भारतीय भाषा का अध्ययन करेंगे जबकि जिन राज्यों में हिंदी नहीं बोली जाती, वहाँ के छात्र हिंदी और अंग्रेजी के सिवा अपनी मातृभाषा में पढ़ेंगे। इसे 'Three Language Formula' कहा जा रहा था।

हिन्दी भाषा का बवाल और पत्रकारिता का वह दौर जब कुछ भी छप रहा है, कोई भी लिख रहा है

तर्क हों तो आप लेख की शुरुआत विदेशी लेखक का नाम लेकर करें या फिर 'लगा दिही न चोलिया के हूक राजा जी' से, मुद्दे पर फ़र्क़ नहीं पड़ता। कुतर्क हों तो आप अपने पोजिशन का इस्तेमाल दंगे करवाने के लिए भी कर सकते हैं, कुछ लोग वही चाह रहे हैं।

‘काशी’ पर लिखा गया साहित्य: काशीनाथ सिंह के अलावा भी है बहुत कुछ

किताबों में रुचि होने की वजह से हमें वाराणसी के साथ-साथ 'काशी का अस्सी' भी याद आ जाती है। एक वामी मजहब के लेखक की इस किताब को पढ़ने के बाद शायद ही कोई उर्दू भाषा से प्रेरित गाली होगी, जिसे सीखना बाकी रह जाता होगा।

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