पायलट का ये बयान उस समय आया है जब विपक्ष के नेता गुलाब चंद कटारिया एक दिन पहले ही उनकी सरकार द्वारा कानून व्यवस्था को लेकर बनाई खराब नीतियों और राज्य भर में हो रही घटनाओं पर उन्हें घेर चुके हैं।
"मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट का स्पष्ट कहना है कि कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं को बहुत प्रताड़ित किया गया है। उनको न्याय मिलना चाहिए। इसलिए उन्होंने निर्देश दिए हैं कि कॉन्ग्रेस के कार्यकर्ताओं की ट्रांसफर पोस्टिंग का अच्छे से ख्याल रखा जाए।"
राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत ने वसुंधरा राजे सरकार के दौरान लागू किए गए भामाशाह स्वास्थ्य योजना को बंद कराने के बाद अब उसी भामाशाह के नाम पर शुरू किए गए भामाशाह टेक्नो हब की जमकर तारीफ की है।
राजस्थान के मुख्यमंत्री के मुताबिक अगर किसी को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया जाना था तो वह सिर्फ अशोक गहलोत था कोई और नहीं। उनके अनुसार उनका मुख्यमंत्री बनना तय था। इसलिए लोगों की भावनाओं का आदर करते हुए राहुल गाँधी ने उन्हें सीएम बनने का अवसर दिया।
पुलिस और प्रशासन से वार्ता बेनतीजा रहने के बाद शुक्रवार (जुलाई 5, 2019) को महापंचायत बुलाने का फैसला किया गया है, जिसमें आंदोलन की रणनीति तय की जाएगी। धरने पर बैठे लोगों ने माँग पूरी न होने पर किसान के शव का अंतिम संस्कार नहीं करने की चेतावनी दी है।
अलवर जिले के बेहरोर कस्बे में 29 मई 2019 को बहरोड़ के एडिशनल चीफ जुडिशियल मजिस्ट्रेट की अदालत में यह चार्जशीट पेश की गई। इस चार्जशीट में पहलू खान और उनके बेटों पर राजस्थान गोवंशीय पशु (वध निषेध और अस्थायी प्रवासन या निर्यात पर प्रतिबंध) अधिनियम, 1995 की धारा 5, 8 और 9 के तहत चार्जशीट दायर की गई है।
सुसाइड नोट में सोहनलाल ने लिखा, "मैं आज अपनी जीवन लीला समाप्त करने जा रहा हूँ। इसमें किसी का कोई दोष नहीं है। इस मौत के जिम्मेदार गहलोत व सचिन पायलट हैं। उन्होंने बकायदा बयान दिया था कि हमारी सरकार आई तो 10 दिन में आप का कर्ज माफ कर देंगे। अब इनके वादे का क्या हुआ। सभी किसान भाइयों से विनती है कि मेरी लाश तब तक मत उठाना जब तक सभी किसानों का कर्ज माफ ना हो।
गहलोत को अपनी कुर्सी जाने का भय सता रहा है। इसलिए वो पिछले 3 दिनों से दिल्ली में डेरा डाले हुए हैं और लगातार कॉन्ग्रेस के वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात कर रहे हैं। जबकि पायलट इन दिनों राजस्थान के ग्रामीण इलाकों में घूम रहे हैं। किसानों के बीच खुले आसमान में खाट पर बैठकर...
अशोक गहलोत ने कहा, "यदि जीतने पर श्रेय लेने के लिए सभी लोग आगे आ जाते हैं तो हारने पर भी ज़िम्मेदारी सामूहिक होनी चाहिए। ये चुनाव किसी एक व्यक्ति नहीं, बल्कि सामूहिक नेतृत्व में संपन्न हुआ है।"
इसी क्षेत्र में अब तक 10 चुनाव जीत चुके गहलोत की 93 रैलियों का कोई असर नहीं हुआ और उनके ख़ुद के ही विधानसभा क्षेत्र में उनके बेटे लीड नहीं ले सके। सरदारपुरा में वैभव गहलोत लगभग 18,000 मतों से पीछे छूट गए। कुल पौने 3 लाख मतों के अंतर से उनकी बुरी हार हुई।