जगनेश्वर रॉय संत गौरियो मंदिर के प्रमुख महंत थे। कुछ हथियारबंद बदमाशों ने उनकी गला काटकर निर्ममता से हत्या कर दी थी। इस मामले में कोर्ट ने जहाँगीर हुसैन उर्फ राजीब गाँधी, रजीबुल इस्लाम उर्फ बादल, आलमगीर हुसैन और रमजान अली को फाँसी की सजा सुनाई है।
एनजीओ के सदस्यों ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि आरोपित बांग्लादेशी नागरिक पीड़ित नाबालिग लड़की को कुछ महीने पहले नौकरी दिलाने के बहाने बहला-फुसला कर बेंगलुरू लाए थे। इसके बाद उसे कडुगोड़ी के एक घर में रखा गया, जहाँ पीड़िता को प्रताड़ित किया गया और उसे वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर किया गया।
अफसरा अनिका मीम सीएए के विरोध में लगातार पोस्ट कर रही थी। नोटिस में कहा गया है कि उसने वीजा शर्तों का उल्लंघन किया है। सरकार विरोधी गतिविधि में उसे संलिप्त पाया गया है।
इंदौर में फर्जी पासपोर्ट बनवाकर रहने वाले तीन बांग्लादेशी गिरफ्तार हुए हैं। आरोपित पहचान बदलकर ना सिर्फ इंदौर में रह रहे थे बल्कि देह व्यापार और नकली नोट का धंधा भी चला रहे थे। इस गिरोह की सरगना बांग्लादेशी महिला है। इसका असली नाम बेगम खातून है।
क्षमता से ज्यादा भरी हुई लकड़ी की नाव में रोहिंग्या समुदाय के लोग बांग्लादेश के तटवर्ती इलाके कॉक्स बाजार से मलेशिया की ओर जा रहे थे, तभी नाव बंगाल की खाड़ी में डूब गई। तटरक्षक बल, नौसेना के गोताखोरों और अन्य बचाव दल ने अभी तक 14 महिलाओं, एक बच्चे और एक आदमी के शव को बरामद किया।
पुलिस ने बताया कि गिरफ्तार बांग्लादेशियों की पहचान ढाका के नादौर सिंगरा निवासी मामून शेख, मिलन शेख, मुकुल शेख, मोनू वैध, सीजर शेख, असलम शेख, पालन शेख के रूप में हुई है। इसके साथ ही इनके परिवार से संपर्क करने की कोशिश की जा रही है। फिलहाल सातों बांग्लादेशियों को जेल भेज दिया गया है।
आतंकी सलाउद्दीन बोधगया और खागड़ागढ़ धमाकों में भी वांछित है। NIA की टीम उत्तर 24 परगना, नदिया, मुर्शिदाबाद, मालदह, उत्तर दिनाजपुर, कूचबिहार जिलों में उसकी तलाश कर रही है।
पुटिया गाँव को पार करने के बाद भैंस ने नजदीकी गाँव गौरंगोला में घुसकर ग्रामीणों पर हमला कर दिया। इस दौरान भैंस ने गाँव में काफी देर तक तांडव मचाया, जिसमें गाँव के करीब आठ लोग गंभीर रूप से घायल हो गए। अस्पताल ले जाते समय...
रोहिंग्या संगठन ARSA ईसाइयों को प्रताड़ित कर रहा है। हालिया हमले में 12 रोहिंग्या ईसाई गंभीर रूप से घायल हो गए। कुछ के शरीर पर एसिड फेंक कर हमला किया गया। पीड़ितों में महिलाएँ एवं बच्चे भी शामिल हैं।
हिरासत में लिए गए लोगों से उनका डाक्यूमेंट्स दिखाने को कहा गया था, लेकिन उनके पास भारतीय नागरिकता साबित करने वाले कोई दस्तावेज नहीं थे। पुलिस को शक है कि उनमें से कुछ आपराधिक गतिविधियों में भी संलग्न हैं।