वेद, व्याकरण, ज्योतिष, वैदिक दर्शन, धर्मागम, धर्मशास्त्र मीमांसा, जैन-बौद्ध दर्शन के साथ-साथ इन सबसे जुड़ा साहित्य। क्या ये विषय महज साहित्य हैं? क्या आप चाहेंगें कि इन विषयों को वो लोग पढ़ाएँ जिनका इनके मर्म और मूल्यों से कोई वास्ता ही न हो? क्या आप चाहेंगे कि इनकी इस्लामी और ईसाइयत मिश्रित व्याख्या हो......
वीर सावरकर की फोटो को दीवार से उखाड़ कर पहली बेंच पर पटक दिया गया था। फोटो पर स्याही लगी हुई थी। इसके बाद छात्र आक्रोशित हो उठे और धरने पर बैठ गए। छात्रों के आक्रोश को देख कर एचओडी वहाँ पर पहुँचे। उन्होंने तीन सदस्यीय कमिटी गठित कर जाँच का आश्वासन दिया।
आज से 20 साल बाद जब 'संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय' में वैदिक मंगलाचरण की जगह कुरान और हदीस की आयतें गूँजेगी, विश्व हिन्दू पंचांग की जगह कुरान और बाइबिल का प्रकाशन होगा, तो बुढ़ापे में आप इस कुण्ठा से जरूर गुजरेंगे कि जब मालवीय मूल्यों और हिन्दू सनातन धर्म और संस्कृति के रक्षार्थ कुछ छात्र लड़ रहे थे तो आप मौन थे......
बनारस हिन्दू यूनिवर्सिटी के धर्म-विज्ञान संकाय में फिरोज खान की नियुक्ति को लेकर छात्रों का प्रदर्शन लगातार जारी है। यूनिवर्सिटी प्रशासन ने अपने कदम को जायज़ ठहराते हुए फ़िरोज़ खान की नियुक्ति को सही बताया। अपनी बात स्पष्ट करते हुए प्रशासन ने...
जिसकी परवरिश एक तय तरीके से हुई है, वो अचानक से उस संकाय में प्रोफेसर बना दिया जाए जो पूरे विश्व में हिन्दू धर्म और आस्था पर उठते सवालों या शंकाओं का निवारण करता है? आप मुझे एक उदाहरण दिखा दीजिए कि किसी इस्लामी संस्थान में हिन्दू प्रोफेसर शरीयत पढ़ाकर मौलवी तैयार कर रहा हो!
"'संस्कृत विद्या धर्म विज्ञान संकाय' में समझने की बात यह है कि 'संस्कृत विद्या' किसी भी धर्म का व्यक्ति पढ़-पढ़ा सकता है। लेकिन 'धर्म विज्ञान' के लिए, सनातन हिन्दू परम्पराओं, वेद, वेदांग, कर्मकाण्ड, ज्योतिष के प्रति पूरी श्रद्धा और भाव से समर्पित लोगों को ही पद दिया जा सकता है।"