पहले स्तर के प्रयास में 1700-2000 गरीब एवं जरूरतमंद लोगों को प्रतिदिन मुफ्त भोजन वितरित किया जा रहा है। दूसरे स्तर का प्रयास इससे वृहत है। इसे "सीकर्स एंड गिवर्स" प्लेटफॉर्म के नाम से समझा जा सकता है। यहाँ एक वो हैं, जो सहायता पाना चाहते हैं और दूसरे वो जो सहायता करना चाहते हैं। दोनों को आपस में कनेक्ट कर...
ये वीडियो इस समय सोशल मीडिया पर खूब शेयर हो रही है। कई लोग ये भी कह रहे हैं कि इस दौरान पार्षद को जान से मारने की धमकी दी गई और सरकारी कर्मचारियों को परेशान किया जाता रहा। इसलिए अब इनके ऊपर कोई कार्रवाई होगी या नहीं?
जनसंघ की जड़ें RSS और अन्य धार्मिक, सांस्कृतिक एवं राष्ट्रवादी आन्दोलनों और संगठनों से जुड़ी थीं। इसीलिए, भाजपा का इतिहास समझने के लिए हमें संघ के साथ-साथ आर्य समाज और हिन्दू महासभा के इतिहास को भी देखना पड़ेगा। आज के 'घर वापसी' अभियान को ही लें तो इसकी जड़ें आर्य समाज के शुद्धि आंदोलन में है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- "समानो मंत्र: समिति: समानी। समानम् मनः सह चित्तम् एषाम्।" इसका अर्थ है कि हमारे विचार, हमारे संकल्प और हमारे हृदय एकजुट होने चाहिए। उन्होंने '9 बजे 9 मिनट' के तहत रविवार की रात लोगों द्वारा दिए और कैंडल जलाने की बात करते हुए इसे सफल बताया।
कोरोना संक्रमण का प्रसार रोकने के लिए 21 दिनों का पूरे देश में लॉकडाउन है। इस दौरान बीजेपी ने महाभोजन अभियान की घोषणा की है। सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान रखते हुए कार्यकर्ता इस कैंपेन को मुकम्मल करेंगे।
इसके बाद मयाबन ने उन्हें डराना शुरू कर दिया। अगर वो किसी से बात कर रही होतीं तो मयाबन गांगुली आ धमकता और और उनके साथी को धक्का देकर अजीब से व्यवहार करता। वो बार-बार प्रियंका को घूरता रहता। एसएफआई वालों को पता था कि प्रियंका डरी हुई हैं, फिर भी वो कॉल कर-कर के धमकी देते थे।
22 विधायकों की बगावत ने ही मध्य प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कॉन्ग्रेस सरकार की विदाई की पटकथा लिखी थी। शुरुआत में विधानसभा स्पीकर इनका इस्तीफा स्वीकार करने से टालमटोल कर रहे थे। लेकिन, गुरुवार को फ्लोर टेस्ट के सुप्रीम कोर्ट के बाद इनका इस्तीफा स्वीकार कर लिया गया था।
तोमर बीजेपी के मंडल अध्यक्ष थे। AIMIM के पश्चिमी यूपी के प्रभारी आरिफ की गिरफ्तारी के बाद इस हत्या में कुरैशी की भूमिका उजागर हुई थी। लेकिन वह फरार हो गया था।
बेंगलुरु में विधायकों ने दावा किया कि 20 और MLA उनके साथ हैं, लेकिन उन्हें कैद में रखा गया है। यदि वे भी बागी विधायकों के साथ होते, तो कॉन्ग्रेस स्पष्ट रूप से टूट जाती और इस पर कोई भी कानून लागू नहीं हो सकता था।
MP में कुल विधानसभा सदस्यों की संख्या 230 है। इनमें से 2 विधायकों की मृत्यु हो चुकी है। यानी वर्तमान संख्या 228 है। कॉन्ग्रेस में हुई बगावत के पहले पार्टी के पास थे 114 विधायक, भाजपा के पास थे 107, सपा के एक , बसपा के दो और निर्दलीय विधायक थे कुल चार। अब इसमें से अगर उन 22 कॉन्ग्रेसी विधायकों को निकाल दिया जाए, जिन्होंने अपने इस्तीफे...