पिछले दिनों बहरीन में गणेश मूर्तियों को तोड़ती एक बुर्का वाली महिला का वीडियो वायरल हुआ था। इन मूर्तियों को दिव्य पांडे ने अपने घर में स्थापित करने के बाद विसर्जित किया है।
कुरान में हिजाब का जिक्र है, जिसमें महिला का चेहरा दिखता रहता है। बुर्का केवल कट्टरपंथी इस्लाम की सोच है जिसमें वो महिला को जबरदस्ती चेहरा ढकने के लिए बाध्य करते हैं। अरब देशों में बुर्का पहनने का चलन वहाँ पर चलने वाली आँधियों से बचने के लिए था। धीरे-धीरे उस क्षेत्र में इस्लाम धर्म के फ़ैलने के कारण बुर्का इस्लाम का अंग बन गया।
विवाद को देखते हुए कॉलेज ने बुर्का से जुड़ा निर्देश वापस ले लिया है। कॉलेज ने पहले ड्रेस कोड में आने का निर्देश देते हुए कहा था कि परिसर और क्लासरूम में बुर्का का प्रयोग वर्जित है। इसको लेकर कुछ छात्राओं ने आपत्ति जताई थी।
बुर्क़े के भीतर आप बम बाँधे हो सकते हैं, RDX या IED बैग में लेकर घूम रहे हों, विस्फोटकों को एक जगह से दूसरी जगह ले जा रहे हों, लेकिन आप पर संदेह नहीं किया जा सकता। बुर्क़े के भीतर कुछ भी हो सकता है लेकिन आपको यही मानना होगा कि भीतर एक मजहबी महिला है जिसे उसका मज़हब इसी तरीके से उनके कल्चर को ढोने के लिए निर्देश देता है।