जानकारी न हो तो ठगने में आसानी रहती है। ये गणित तीन पार्टी वाले चुनाव तक चलता है, मगर कई पार्टियों के बीच होने वाले चुनावों में नहीं, ऐसा बताए बिना अगर विश्लेषण सुनाए जाएँ तभी तो लोग देखेंगे-सुनेंगे! अगर पता हो कि इसके नाकाम होने की ही संभावना ज्यादा है तो भला न्यूज़ बेचने वाले पर भरोसा कौन करेगा?
जैसा कि आज के दौर में हम देखते हैं, टीवी न्यूज़ चैनलों के बीच किसी भी ख़बर को पहले दिखाने के लिए बड़ी प्रतिस्पर्द्धा चलती है और इसके लिए वो हर तरह के हथकंडे अपनाते हैं। लाजिमी है, पहले एग्जिट पोल्स के डेटा दिखाने के लिए भी उनमें होड़ मची होगी। ऐसे में जल्दबाजी में गड़बड़ी हुई होगी।
पिछली बार की तुलना में भाजपा की सीटों में काफी इजाफा होता दिख रहा है। लेकिन एग्जिट पोल की माने तो वह सरकार बनाने में कामयाब नहीं रहेगी। आप को आसानी से बहुमत मिलता दिख रहा है।
इंडिया टुडे के अनुसार, तीन एग्जिट पोल्स का औसत निकालने पर पता चलता है कि 175 सीटों वाली राज्य की विधानसभा में टीडीपी को मात्र 65 सीटें आएँगी जबकि 106 सीटों के साथ रेड्डी की पार्टी पूर्ण बहुमत के लिए ज़रूरी न्यूनतम आँकड़े से काफ़ी आगे निकल जाएगी।
ऐसी पार्टी, जो सिर्फ़ 20 सीटों पर ही चुनाव लड़ रही है, उसे वाजपेयी ने 35 सीटें दे दी है। ऐसा कैसे संभव है? क्या डीएमके द्वारा जीती गई एक सीट को दो या डेढ़ गिना जाएगा? 20 सीटों पर चुनाव लड़ने वाली पार्टी 35 सीटें कैसे जीत सकती है?