Tuesday, September 17, 2024

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‘गदहे हैं ये लोग’: शिकारा से कश्मीरी पंडितों के जख्म पर नमक रगड़ने वाला चोपड़ा बौखलाया

विधु विनोद चोपड़ा ने कश्मीरी पंडितों का दर्द दिखाने के नाम पर 'शिकारा' बनाई। लेकिन, फिल्म में मुस्लिमों के अत्याचार को छिपा लिया और प्रेम-कहानी पर जोर दिया। इसके खिलाफ आवाज उठाने वालों को अब गदहा बता वे झूठे आँकड़े गिना रहे हैं।

इस ‘शिकारा’ का डूबना आवश्यक था, बॉलीवुड के मजहबी आतंक प्रेम की पराकाष्ठा है ये

सोचिए इस पर, वरना प्रेम कहानी के चुम्मे में वन्धामा की 23 लाशों की विद्रूपता छुपा दी जाएगी। शिकारे पर बैठी नायिका की काली जुल्फों में सिगरेट से पूरे शरीर को जलाने के बाद, सर्वानंद कौल और उनके पुत्र की आँखें निकाल लेने की इस्लामी कलाकृति गायब कर दी जाएगी।

शिकारा रिव्यू: 90 में इस्लाम ने रौंदा, 2020 में बॉलीवुड कश्मीरी हिंदुओं पर रगड़ रहा नमक

चोपड़ा ही बताएँगे कि कश्मीर के गुनाहों और गुनहगारों से ऐसा परदा क्यों किया? न तो कश्मीरी हिन्दुओं की पीड़ा कहीं भी है, न ही नरसंहार का ख़ौफ़नाक मंजर... लगता है ‘कश्मीर की कली’ पार्ट 2 बनाना चाह रहे थे।

छिपाया जा रहा कश्मीरी पंडितों का दर्द?: ‘शिकारा’ के कुछ पोस्टरों में इसे बताया गया ‘लव स्टोरी’

'शिकारा' का एक अन्य पोस्टर शेयर किया गया, जिसमें टैगलाइन बदला सा दिख रहा है। इसपर टैगलाइन है- "A timeless love story in the worst of times." इसका अर्थ है- 'अत्यंत बुरे समय की एक कालजयी प्रेम कहानी।' कश्मीरी पंडित वाली बात क्यों छिपाई जा रही है?

‘कश्मीरी पंडितों के पलायन के लिए मुस्लिम जिम्मेदार नहीं, फ़िल्म पर लगे रोक… वरना पूरे देश में सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ेगा’

"हमने कई बार इस फिल्म के ट्रेलर देखे और और पाया कि उसमें दिखाए गए कंटेंट आपत्तिजनक हैं। इसमें कश्मीरी पंडितों के घाटी से पलायन के लिए कट्टरपंथियों को जिम्मेदार बताया गया है। जबकि सच्चाई यह नहीं है। यह फ़िल्म पूरे देश के माहौल को ख़राब..."

बेचारा अफ़ज़ल गुरु निर्दोष निकला तो उसे वापस कौन लाएगा, ये न्याय का मज़ाक: आलिया की मम्मी

राजदान ने सज़ा-ए-मौत का विरोध करते हुए लिखा कि फाँसी की सज़ा को हल्के में नहीं लेना चाहिए। उन्होंने अफजल गुरु को 'बलि का बकरा' बनाए जाने का आरोप लगाते हुए इस मामले में उच्च-स्तरीय जाँच की माँग की। उन्होंने आतंकी अफ़ज़ल के निर्दोष होने का अंदेशा जताया।

Chhapaak में करनी होगी एडिटिंग, तब होगी रिलीज: कोर्ट ने डायरेक्टर को दिया आदेश

रिलीज से पहले विवादों में घिरी छपाक फ़िल्म के निर्देशक मेघना गुलजार को दिल्ली के पटियाला कोर्ट ने निर्देश जारी किया है। कोर्ट ने कहा है कि फ़िल्म में एसिड अटैक पीड़िता लक्ष्मी अग्रवाल के वकील अर्पणा भट्ट को क्रेडिट दिया जाए, क्योंकि...

बॉलीवुड की रीत पुरानी: ‘उन्हें’ रखो सिर-माथे पर, हिंदुओं की भावना ठेंगे पर

फायदे के लिए कंट्रोवर्सी पैदा करना बॉलीवुड का पुराना ट्रेंड है। दीपिका का जेएनयू जाना भी इससे अलग नहीं है। 'उनलोगों' को नाराज़ करने का रिस्क नहीं लेने वाला बॉलीवुड पब्लिसिटी के लिए बहुसंख्यकों की भावना से भी खेलता रहता है।

हे मार्क्स बाबा के कॉमरेड, ठण्ड का मौसम तुम्हारी क्रांति के लिए सही नहीं है, रजाई में दुबके रहो

प्रथमतया सर्दी का मौसम सड़क पर धरना प्रदर्शन के लिए अनुकूल नहीं होता है। सर्दियों का समय समाजवाद के शीतनिद्रा में जाने के लिए उपयुक्त होता है। समाजवादी सौंदर्यशास्त्र के साथ भी सर्दियाँ ठीक नहीं जाती। एक अच्छा वामपंथी कम नहाया हुआ, दाढ़ी बढ़ाया हुआ, महँगा कुर्ता पहन कर ग़रीबों के लिए व्यथित भाव लिए दिखता है।

ऑपइंडिया टॉप 10: अतिथि लेखकों के दस आलेख जो साल भर सबसे ज्यादा चर्चा में रहे

ऑपइंडिया ने एक साल पूरे किए और लगभग 10,000 लेख हमने खबरों, विचार और विश्लेषण के रूप में आप तक पहुँचाया। लेकिन इसमें सिर्फ ऑपइंडिया की सम्पादकीय टीम का ही योगदान नहीं रहा, बल्कि पाठकों में से भी कई लोगों ने अपने लेखों और विश्लेषणों से हमारे प्लेटफ़ॉर्म को बेहतर बनाया। उन सभी का शुक्रिया, बार-बार धन्यवाद!

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