क्या आप गुलशन कुमार को जानते हैं? मारिया के सवाल पर भट्ट ने कहा हाँ, मैं जानता हूँ। फिर मारिया ने पूछा - क्या गुलशन कुमार हर सुबह एक शिव मंदिर जाते हैं? भट्ट के जवाब से यह बात भी सही निकली। और मुखबिर के अनुसार इसी शिव मंदिर में गुलशन कुमार का 'विकेट' गिरने वाला था, मतलब...
भारत में ऐसा पहली बार हो रहा है कि जब कोई एनिमेटेड फ़िल्म संस्कृत भाषा में बनी हो। 'पुण्यकोटि' को रविशंकर वी ने अपने मित्रों और सोशल मीडियो के जरिए क्राउड फंडिंग कर बनाया है। इसे बनाने में 4 से 5 करोड़ रुपए का खर्च आया है। जिसमें संगीत इलैयाराजा ने दिया है।
विधु विनोद चोपड़ा ने कश्मीरी पंडितों का दर्द दिखाने के नाम पर 'शिकारा' बनाई। लेकिन, फिल्म में मुस्लिमों के अत्याचार को छिपा लिया और प्रेम-कहानी पर जोर दिया। इसके खिलाफ आवाज उठाने वालों को अब गदहा बता वे झूठे आँकड़े गिना रहे हैं।
सोचिए इस पर, वरना प्रेम कहानी के चुम्मे में वन्धामा की 23 लाशों की विद्रूपता छुपा दी जाएगी। शिकारे पर बैठी नायिका की काली जुल्फों में सिगरेट से पूरे शरीर को जलाने के बाद, सर्वानंद कौल और उनके पुत्र की आँखें निकाल लेने की इस्लामी कलाकृति गायब कर दी जाएगी।
चोपड़ा ही बताएँगे कि कश्मीर के गुनाहों और गुनहगारों से ऐसा परदा क्यों किया? न तो कश्मीरी हिन्दुओं की पीड़ा कहीं भी है, न ही नरसंहार का ख़ौफ़नाक मंजर... लगता है ‘कश्मीर की कली’ पार्ट 2 बनाना चाह रहे थे।
'शिकारा' का एक अन्य पोस्टर शेयर किया गया, जिसमें टैगलाइन बदला सा दिख रहा है। इसपर टैगलाइन है- "A timeless love story in the worst of times." इसका अर्थ है- 'अत्यंत बुरे समय की एक कालजयी प्रेम कहानी।' कश्मीरी पंडित वाली बात क्यों छिपाई जा रही है?
"हमने कई बार इस फिल्म के ट्रेलर देखे और और पाया कि उसमें दिखाए गए कंटेंट आपत्तिजनक हैं। इसमें कश्मीरी पंडितों के घाटी से पलायन के लिए कट्टरपंथियों को जिम्मेदार बताया गया है। जबकि सच्चाई यह नहीं है। यह फ़िल्म पूरे देश के माहौल को ख़राब..."
राजदान ने सज़ा-ए-मौत का विरोध करते हुए लिखा कि फाँसी की सज़ा को हल्के में नहीं लेना चाहिए। उन्होंने अफजल गुरु को 'बलि का बकरा' बनाए जाने का आरोप लगाते हुए इस मामले में उच्च-स्तरीय जाँच की माँग की। उन्होंने आतंकी अफ़ज़ल के निर्दोष होने का अंदेशा जताया।