चारों युवकों के हाथ में थैला देखकर पुलिस को शक हुआ और जब उन्हें रोककर छानबीन हुई तो उसमें से 100 से ज्यादा तलवारें निकलीं। इसके बाद आरोपितों ने पुलिस को बरगलाने की कोशिश की, फर्जी रसीद दिखाई। मगर सख्ती से पूछताछ पर सब सच्चाई उगल दी।
राज्यसभा के लिए बीजेपी ने तीन उम्मीदवार खड़े कर कॉन्ग्रेस की नींद उड़ा दी है। उसे क्रॉस वोटिंग का डर सताने लगा है। इसके कारण 35 विधायक जयपुर और 15 उदयपुर ले जाए जा रहे हैं। वहीं मध्य प्रदेश में बीजेपी ने बजट सत्र स्थगित कर फ्लोर टेस्ट की मॉंग की है।
इन 4 युवकों पर कच्छ के नलिया वायुसेना की डिप्लॉयमेंट की जानकारी और वायुसेना की मूवमेंट सीमा पार पाकिस्तान भेजने का आरोप है। इस काम के लिए ये एयरबेस के आसपास ऊँची जगह पर जाकर फोटो लेते थे और पाकिस्तान भेजते थे।
"मैंने सदन में नितिन भाई से कहा कि वह अकेले नहीं है। कॉन्ग्रेस उनके साथ है। यदि वे 20 विधायकों के साथ उनकी पार्टी (कॉन्ग्रेस) में शामिल हो जाएँ, तो कॉन्ग्रेस उन्हें डिप्टी सीएम से सीएम बना देगी।"
खम्भात स्थित आनंद जिले के कार्यवाहक पुलिस अधीक्षक दिव्य मिश्रा ने बताया है कि रविवार को अकबरपुरा इलाके में दोनों समुदायों के बीच 24 जनवरी के दंगे को लेकर मौखिक बहस शुरू हो गई, जो आपस में मारपीट और पथराव में बदल गई।
व्यास ने पठान को शहर आने की चुनौती दी है। उन्होंने कहा- "हम आपके लिए सही व्यवस्था करेंगे कि क्या आप यह समझते हैं कि हमने चूड़ियाँ पहन रखी हैं? हम आप से निपटने के लिए तैयार हैं, लेकिन हम यह चाहते हैं कि समाज में आपसी भाईचारा बना रहे।"
हिरासत में लिए गए लोगों से उनका डाक्यूमेंट्स दिखाने को कहा गया था, लेकिन उनके पास भारतीय नागरिकता साबित करने वाले कोई दस्तावेज नहीं थे। पुलिस को शक है कि उनमें से कुछ आपराधिक गतिविधियों में भी संलग्न हैं।
जहॉं हिंसा हुई वह इलाका सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील रहा है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कुछ लोग घरों की छतों से पथराव कर रहे थे। कुछ घरों को आग के हवाले कर दिया गया। अब हालात में काबू में बताए जा रहे।
हार्दिक पटेल को बीते दिनों 18 जनवरी को राजद्रोह के एक मामले में निचली अदालत में पेश नहीं होने का कारण गिरफ्तार किया गया था। इसके बाद पुलिस ने उन्हें मजिस्ट्रेट के सामने पेश किया। जहाँ से उन्हें जेल भेज दिया गया था। तीन दिन जेल मेें रहने के बाद हार्दिक को गुरुवार को जमानत मिल गई। लेकिन.....
मामला 25 अगस्त 2015 का है। अहमदाबाद में एक रैली के दौरान भड़की हिंसा के बाद बसों, पुलिस चौकियों और अन्य सरकारी संपत्तियों को आग के हवाले कर दिया गया था। एक पुलिसकर्मी सहित करीब दर्जन भर लोग मारे गए थे।