उपद्रवियों ने पटना के एक मंदिर में तोड़-फोड़ और आगजनी की। क्यों? क्योंकि यह उग्र भीड़ मंदिर के पास से गुजर रही थी। स्थानीय निवासियों और पुलिस ने इन्हें आगे बढ़ने से मना किया। बस, इतनी सी बात पर उपद्रवियों ने मंदिर में तोड़-फोड़ करनी शुरू कर दी, फिर आगजनी भी की।
उत्तर प्रदेश, असम, अरुणाचल, पश्चिम बंगाल से लेकर बिहार तक। दुर्गा पूजा से लेकर दुर्गा प्रतिमा के विसर्जन तक - पिछले 2 दिनों में ऐसी 8 घटनाएँ हुई हैं, जहाँ मूर्ति तोड़ने से लेकर उग्र भीड़ ने हिंदुओं को निशाना बनाया है।
सरकारबाड़ी मन्दिर कहने को गाँव के सरकार परिवार का है, लेकिन पिछले 300 सालों से सभी ग्रामीण सरकारबाड़ी मन्दिर के ‘दुर्गा पूजो’ में शरीक होते हैं। मंगलवार रात को पूजो खत्म होने के बाद मन्दिर का दरवाज़ा बंद किया गया था, लेकिन सुबह यहाँ की खिड़की टूटी मिली।
उत्तर प्रदेश के बदायूं के उघैती में नवरात्रि के आखिरी दिन रविवार की देर रात कुछ अराजक तत्वों ने इलाके में स्थित शिव मंदिर में तोड़फोड़ करके माहौल बिगाड़ने की कोशिश की। घटना की सूचना मिलते ही इलाके में तनाव बढ़ गया। पुलिस ने...
जुलाई के अंत में बिजनौर के पंचमुखी हनुमान मंदिर में दो युवक मूर्तियों को तोड़ने की कोशिश करते पकड़े गए थे। दोनों ने माथे पर टीका लगा रखा था ताकि किसी को उन पर शक न हो।
इस हमले में कट्टरपंथी नेता मियाँ मिट्ठू का हाथ सामने आया था। उसने न सिर्फ़ मंदिर बल्कि स्कूल को भी नुक़सान पहुँचाया। मियाँ मिट्ठू के नेतृत्व में भीड़ ने पुलिस के सामने शिक्षक की पिटाई की, मंदिर में तोड़फोड़ और स्कूल को नुक़सान पहुँचाया।
घटना की सूचना मिलने पर वहाँ डीएम एवं एसपी बड़ी संख्या में पुलिस बल के साथ पहुँचे और तत्काल देवी की मूर्ति को ठीक करवाया गया। सुरक्षा के लिहाज से इलाके में पुलिस बल को भी तैनात किया गया।
पूर्व केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद विजय गोयल का कहना है कि संत रविदास के मंदिर को दोबारा बनाया जाना चाहिए। सांसद ने इस मंदिर के निर्माण के लिए ‘गुरू रविदास जयंती समारोह समिति’ को अपनी एक महीने की सैलरी देने की भी बात कही है।
पंजाब की कैप्टन अमरिंदर सरकार ने इस बाबत प्रधानमंत्री मोदी से दखल की अपील की थी। पटियाला प्रशासन का कहना है कि वहाँ की स्थिति अभी नियंत्रण में है। इसलिए होशियारपुर, जालंधर, कपूरथला और गुरुदासपुर की तरह वहाँ स्कूल, कॉलेजों को बंद करने की जरूरत नही पड़ी।
हनुमान मंदिर की कमिटी ने आदिल और शादाब को उस समय रंगे हाथों पकड़ लिया, जब दोनों माथे पर टीका लगा मंदिर में घुस गए और वहाँ की मूर्तियों को तोड़ने लगे। लोगों ने बताया कि शक से बचने के लिए इन दोनों युवकों ने माथे पर टीका लगा रखा था, ताकि हिन्दू नहीं होने की पहचान से बच सकें।