'ज़मीन के भाव बढ़ जाएँगे तो स्थानीय लोगों को घाटा होगा'- नेहरू ने क्यों कहा था ऐसा? पढ़िए तत्कालीन गृहमंत्री गुलजारी लाल नंदा का बयान। कौन थे अनुच्छेद 370 हटाने वाला बिल लेकर आने वाले प्रकाश शास्त्री जो बाद में एक ट्रेन दुर्घटना में मारे गए?
श्रीदेव सुमन के व्यक्तित्व में कई महापुरुषों की झलक थी। वे बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। रियासत के खिलाफ श्रीदेव सुमन के विरोध में यदि भगत सिंह का जूनून नजर आता था, तो दूसरी ओर वे महात्मा गाँधी के विचारों से भी प्रभावित थे। सुमन एक श्रेष्ठ लेखक और साहित्यकार भी थे।
राणा सफ़वी ने अपने लेख में भारत की जीडीपी के आँकड़े दिखा कर मुग़लों को महान साबित करने की कोशिश की है लेकिन उनकी चालाकी पकड़ी गई। हमारे घर में घुस कर हमारे मंदिर तोड़ने वाले मुग़लों की चापलूसी करने वाले कल को जलियाँवाला नरसंहार को भी सही ठहरा सकते हैं।
खम्भात पर हुए 1299 के आक्रमण में अलाउद्दीन खिलजी के एक सिपहसालार ने काफूर को पकड़ा था। कुछ इतिहासकार मानते हैं कि उसे 1000 दीनार की कीमत पर खरीदा गया था, इसीलिए काफूर का एक नाम 'हजार दिनारी' भी था।
कत्थक का जन्म सुल्तानों के दौरान हुआ। अरबों ने सोमनाथ मंदिर की रक्षा की। अकबर लिबरल था। खिलजी ने भारत की रक्षा की। 'द वायर' के छद्म बुद्धिजीवी ने ग़लत ऐतिहासिक तथ्य पेश कर के इस्लामिक आक्रांताओं की पूजा करने की सलाह दी है।
एक ऐसा राजर्षि, जिसने गाँव-गाँव में कॉन्ग्रेस को मजबूत करने में अपनी ज़िदगी खपा दी और लोकतान्त्रिक तरीके से जीत कर कॉन्ग्रेस अध्यक्ष बने। लेकिन, नेहरू के 'असहयोग' के कारण भारत रत्न टंडन को राजनीतिक वनवास पर जाना पड़ा। पटेल और बोस के बाद ऐसा त्याग करने वाले तीसरे नेता की कहानी।
जब डॉक्टर मुखर्जी का पार्थिव शरीर कश्मीर से कोलकाता लाया जा रहा था, उससे पहले शेख अब्दुल्ला ने उनके पार्थिव शरीर पर कश्मीरी शॉल डाला था। शेख अब्दुल्ला सहित उनकी कैबिनेट के अनेक मंत्रियों ने पार्थिव शरीर पर माल्यार्पण किया था। अब्दुल्ला ने एक माला बेगम अब्दुल्ला की तरफ़ से भी पेश किया था।
मार्क्स कभी उसे देखने भी नहीं जाते थे, जिस कारण फ्रेडिक देमुथ की शिक्षा-दीक्षा अच्छे से नहीं हो पाई। वो जिंदगी भर मजदूर और कल-पूर्जे बनाने वाला काम करता रहा। आखिरकार 1929 में 78 वर्ष की उम्र में फ्रेडिक देमुथ की मृत्यु हुई, लंदन की एक ग़रीब बस्ती में - वो भी इस विश्वास के साथ कि उसकी माँ...
घूँघट को नायिका की सुंदरता का पर्याय मानकर कई गीत लिखने वाले जावेद अख़्तर के लिए अब यह एक कुरीति हो गई है क्योंकि 'उनके' बुर्क़े पर आँच जो आ गई है। घूँघट को समझने के लिए जावेद अख़्तर को 'मृच्छकटिकम्' पढ़नी चाहिए, विजयनगर साम्राज्य पर इस्लामी आक्रांताओं की क्रूरता जाननी चाहिए।
यमुना के तीर पर हड़प्पा के समकालीन ऐसी कौन सी संस्कृति बसी थी जहाँ इस प्रक्रिया से ताँबे के हथियार बनाए जाते थे? रथ, मुकुट, पाए वाली शव पेटिकाएँ, हवनकुंड, जली लकड़ियाँ और न जानें क्या-क्या। देखें गैलेरी। मरे हुए नेवले और जंगली सूअर का क्या औचित्य है?